मतदाता जागरूकता रैली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि तीन दिनों में तय करें कि क्या धारा 144 के बीच कोई व्यक्ति मतदाता जागरूकता रैली निकाल सकता है या नहीं।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता जागरूकता रैली को लेकर बड़ा आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि तीन दिन में बताएं कि कोई व्यक्ति अनुमति के लिए आवेदन करने बाद धारा 144 लागू होने के बाद भी क्या मतदाता जागरूकात रैली निकाल सकता है।
बार और बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक यह आदेश कार्यकर्ता अरुणा रॉय की ओर से फाइल की गई एक पेटीशन दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि धारा 144 लागू करने का आदेश पूरे देश में व्यापक रूप से था। इसके तहत मतदाता जागरूकता रैली आयोजित नहीं की जा रही थीं। बता दें कि धारा 144 किसी भी स्थान पर 4 या इससे अधिक लोगों के एक साथ एकत्र होने पर रोक लगाती है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा है कि दो हफ्ते के बाद वह इस मामले में दोबारा सुनवाई करेंगी।
शादी-ब्याह पर आदेश लागू नहीं, जुलूस या भाषण पर बैन
रॉय के वकील प्रशांत भूषण ने कहा- वे कहते हैं कि विवाह बारात पर ये नियम लागू नहीं होता है। धारा 144 में कोई भी व्यक्ति जुलूस नहीं निकालेगा और न भाषण देगा। हमने तो लोकतंत्र के पर्व पर मतदाताओं को जागरूक करने के लिए अनुमति मांगी थी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जबकि ऐसे आवेदन पर 48 घंटे के भीत निर्णय लिया जाना चाहिए था। रॉय के वकील प्रशांत भूषण ने कहा, कि जब तक शांति भंग की वास्तविक आशंका न हो धारा 144 का आदेश जारी करना गलत है। और यह आयोजन चुनाव से पहले किया जा रहा और सभी रैलियां भी रोक दी गई हैं।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि याचिकाकर्ता ने लोगों मतदान के लिए जागरूक करने के लिए अनुमति मांगी थी जिसपर ताकि लोगों को चुनाव के बारे में शिक्षित कर सके। अंतरिम आदेश के जरिए निर्देश दिया जाता है कि किसी ऐसे संबंध में कोई आवेदन आता है कि तो तीन दिन में निर्णय लिया जाए।