इस देश में कानून नहीं बचा, क्यों ना अदालत को ही बंद कर दें...सुप्रीम कोर्ट ने यूं लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाए का भुगतान करने के आदेश को ना मानने को लेकर शुक्रवार को दूरसंचार कंपनियों को फटकार लगाई। बेंच ने दूरसंचार, कंपनियों के निदेशकों, प्रबंध निदेशकों से कहा कि एजीआर बकाए के भुगतान के आदेश ना मानने पर क्यों ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 14, 2020 9:35 AM IST

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाए का भुगतान करने के आदेश को ना मानने को लेकर शुक्रवार को दूरसंचार कंपनियों को फटकार लगाई। बेंच ने दूरसंचार, कंपनियों के निदेशकों, प्रबंध निदेशकों से कहा कि एजीआर बकाए के भुगतान के आदेश ना मानने पर क्यों ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। 

जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस एम.आर.शाह की बेंच ने कड़ी आपत्ति जताते हुए दूरसंचार विभाग के डेस्क अधिकारी के उस आदेश पर अफसोस जताया, जिससे एजीआर मामले में दिए गए फैसले पर रोक लगी।

'क्यों ना सुप्रीम कोर्ट को बंद कर दें'
बेंच ने कहा, ''हमें नहीं मालूम कि कौन ये बेतुकी हरकतें कर रहा है, क्या देश में कोई कानून नहीं बचा है। बेहतर है कि इस देश में न रहा जाए और देश छोड़ दिया जाए।'' कोर्ट ने कहा,  एक डेस्क अधिकारी अटॉर्नी जनरल और अन्य संवैधानिक प्राधिकरणों को पत्र लिखकर बता रहा है कि उन्हें दूरसंचार कंपनियों द्वारा बकाए के भुगतान पर जोर नहीं देना चाहिए। यदि एक डेस्क अधिकारी कोर्ट आदेश पर रोक लगा सकता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट को बंद कर दीजिए।

बेंच ने कहा, ''हमने एजीआर मामले में समीक्षा याचिका खारिज कर दी, लेकिन इसके बाद भी एक भी पैसा जमा नहीं किया गया। देश में जिस तरह से चीजें हो रही हैं, इससे हमारी अंतरआत्मा हिल गई है।''

23 जनवरी तक करना था भुगतान
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाए को लेकर सुनवाई करते हुए दूरसंचार कंपनियों तथा कुछ अन्य कंपनियों को दूरसंचार विभाग को 1.47 लाख करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया था। इसके भुगतान की समयसीमा 23 जनवरी थी। 

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