सुप्रीम कोर्ट ने करप्शन का सिंबल बन चुके नोएडा के 40 मंजिला ट्विन टॉवर को गिराने की डेट कर दी फिक्स

आखिरकार करप्शन की सिंबल बने नोएडा के अवैध 40 मंजिला जुड़वा टॉवर (twin towers) को गिराने की तारीख का ऐलान कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक ट्विन टॉवर को गिराने की इजाजत दे दी है। ये 28 अगस्त को गिराए जा सकते हैं।
 

Amitabh Budholiya | Published : Aug 12, 2022 6:35 AM IST / Updated: Aug 12 2022, 12:37 PM IST

नोएडा.सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने नोएडा में बने अवैध 40 मंजिला जुड़वा टॉवर (twin towers) को गिराने की तारीख तय कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक ट्विन टॉवर को गिराने की इजाजत दे दी है। ये 28 अगस्त को गिराए जा सकते हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि नोएडा ऑथोरिटी मौजूदा परिस्थितियों का आकलन करके 4 सितंबर तक भी इसे गिरा सकता है। इससे पहले मई में ट्विन टॉवर को गिराए जाने के लिए 3 महीने की मोहलत दी गई थी। फरवरी में हुई सुनवाई में सबसे पहले 22 मई तक टॉवर गिराने को कहा गया था।

पहले यह भी जानें
नोएडा प्राधिकरण ने 2006 में सुपरटेक बिल्डर को 17.29 एकड़ (लगभग 70 हजार वर्ग मीटर) जमीन सेक्टर-93 ए में आवंटित की थी। इस सेक्टर में एमेराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत 15 टावरों का निर्माण कराया गया था। हरेक टॉवर में 11 मंजिल बनाई गईं। 2009 में नोएडा अथॉरिटी के पास सुपरटेक बिल्डर ने एक रिवाइज्ड प्लान जमा कराया। इस प्लान के तहत एपेक्स व सियान नाम से ये जुड़वां टावर के लिए एफएआर खरीदा। बिल्डर ने सांठगांठ करके दोनों टावरों के लिए 24 फ्लोर का प्लान मंजूर कराकर 40 फ्लोर के हिसाब से 857 फ्लैट बना दिए।600 फ्लैट की बुकिंग तक हो गई। लेकिन बाद में खरीददारों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। टॉवर गिराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कराई गई थी। हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल 2014 को दोनो टावरों को गिराने का आदेश दिया था। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, लेकिन वहां भी बिल्डर को राहत नहीं मिली।

खरीददारों को पूरी रकम मय ब्याज के लौटाने होगी
2021 में सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निवेशकों को 12% ब्याज के साथ पूरा पैसा लौटाने का भी आदेश दिया था। दिल्ली-एनसीआर की बड़ी कंपनी सुपरटेक लिमिटेड ने नोएडा में एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के इन twin टॉवर को गिराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर अपनी मुहर लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह अवैध निर्माण नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों और सुपरटेक के बीच सांठगांठ का परिणाम है। 

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