सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि संसद का संशोधन अधिकार संविधान की प्रस्तावना तक फैला हुआ है।
नई दिल्ली: देश के संविधान में संशोधन करके जोड़े गए समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया। भारतीय संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को जोड़ने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें खारिज करने का फैसला सुनाया। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि संसद का संशोधन अधिकार संविधान की प्रस्तावना तक भी है। इस प्रकार, इन शब्दों को हटाने का अधिकार कोर्ट के पास नहीं है। यह संशोधन काफी साल पहले हुआ था। अब ये शब्द चर्चा में क्यों आए हैं?' CJI संजीव खन्ना ने कहा। बलराम सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने ये याचिकाएँ दायर की थीं।