भारतीय रेल मंत्रालय द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो पर सोशल मीडिया यूजर्स ने जमकर आलोचना की है। वीडियो में एक टीटीई ट्रेन में सफ़र के दौरान बेचैनी महसूस कर रहे एक यात्री को सीपीआर देते दिख रहे हैं। रेल मंत्रालय ने यह वीडियो अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर शेयर किया था। अब तक पांच लाख से ज़्यादा लोग इस वीडियो को देख चुके हैं और इस पर यूजर्स ने जमकर भड़ास निकाली है। आम्रपाली एक्सप्रेस के जनरल कोच में सफ़र के दौरान एक यात्री को दिल का दौरा पड़ा। टीटीई ने यात्री की मदद करने के लिए सीपीआर दिया, जैसा कि वीडियो में दिखाया गया है। लेकिन, कई डॉक्टरों ने सीपीआर देने के तरीके पर सवाल उठाए, जिसके बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने वीडियो पर आलोचनाओं की बौछार कर दी।
'टीटीई की तत्परता से मिली जान। ट्रेन नंबर 15708 'आम्रपाली एक्सप्रेस' के जनरल कोच में सफ़र के दौरान 70 वर्षीय एक यात्री को दिल का दौरा पड़ा। मौके पर मौजूद टीटीई ने तुरंत सीपीआर दिया और यात्री की जान बचाई। इसके बाद यात्री को छपरा रेलवे स्टेशन के अस्पताल भेज दिया गया।' रेल मंत्रालय ने वीडियो शेयर करते हुए यह कैप्शन लिखा था। लेकिन, कई डॉक्टरों ने बताया कि सीपीआर बेहोश मरीज़ों को दिया जाता है, जिनकी नब्ज़ या सांस नहीं चल रही होती। होश में बैठे, सीने में दर्द महसूस कर रहे व्यक्ति को सीपीआर देने से दूसरी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। डॉक्टरों ने यह भी कहा कि बेहोशी की हालत में ही मरीज़ को कृत्रिम सांस दी जाती है। यहाँ यात्री खुद सांस ले रहा था, फिर उसे कृत्रिम सांस क्यों दी गई?
कई लोगों ने लिखा कि टीटीई ने सही मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया, और रेल मंत्रालय ने वीडियो शेयर करके लोगों को गुमराह किया है। एक यूजर ने लिखा, 'वह होश में है, होश में व्यक्ति को सीपीआर नहीं दिया जाता। सीपीआर सिर्फ़ दिल के दौरे के लिए नहीं होता। सरकारी अधिकारियों को ऐसी भ्रामक चीज़ें शेयर नहीं करनी चाहिए।' एक अन्य यूजर ने लिखा, "कृपया यह ट्वीट हटा दें, गलत जानकारी न फैलाएँ।" लेकिन रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 'इंडियन रेलवे टीम की लगन' कैप्शन के साथ वीडियो शेयर कर दिया।