इंटरनेट से लेकर जरूरी सुविधाओं तक...कश्मीर को लेकर SC ने केन्द्र सरकार को दिए यह 10 बड़े आदेश

जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा पर लगे बैन पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया है। जिसमे कोर्ट ने सरकार के कदम को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। इसके साथ सरकार को आदेशों की समीक्षा का निर्देश दिया है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 10, 2020 5:30 AM IST / Updated: Jan 10 2020, 12:58 PM IST

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा इंटरनेट सेवाओं पर लगाई रोक पर दायर याचिकाओं पर पिछले दिनों हुई सुनवाई पर आज यानी शुक्रवार को फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने सरकार के निर्णय पर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि पूरे तरह से इंटरनेट की पाबंदी सख्त कदम है। 

सार्वजनिक किए जाएंगे फैसले 

कोर्ट ने सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों की समीक्षा के लिए कमेटी का गठन किया है। जो सात दिन के अंदर कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगी। कमेटी राज्य सरकार की ओर से जो फैसले सार्वजनिक किए जाएंगे। SC ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार इंटरनेट पर पाबंदी, धारा 144, ट्रैवल पर रोक से जुड़े सभी आदेशों को पब्लिश करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धारा 144 का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है, बेहद जरूरी हालात में ही इंटरनेट को बंद किया जा सकता है। SC ने कहा कि धारा 144 को अनंतकाल के लिए नहीं लगा सकते हैं, इसके लिए जरूरी तर्क होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह तुरंत ई-बैंकिंग और ट्रेड सर्विस को शुरू करे। 

सुप्रीम कोर्ट की 10 बड़ी बातें 

1. धारा 144 लगाते समय भी गंभीरता से विचार होना चाहिए। 
2. राजनीति में दखल देना हमारा अधिकार नहीं।
3. इंटरनेट सेवा पर रोक की समय सीमा होनी चाहिए
4. सभी जरूरी सेवाओं में इंटरनेट बहाल हो, जिससे स्वास्थय और आपातकालीन सेवाएं बाधित न हो। 
5. इंटरनेट सेवा पर पूरा बैन बेहद सख्त कदम, सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए। 
6. लोगों को असहमति व्यक्त करने का हक है।
7. बहुत ही गंभीर स्थितियों में इंटरनेट पर बैन लगाना चाहिए। 
8. सरकार का कोई भी आदेश न्यायीक समीक्षा से परे नहीं।  
9. सरकार सभी आदेशों की समीक्षा करे। 
10. सरकार द्वारा दिए गए सभी आदेशों को प्रकाशित किया जाए, गैरजरूरी आदेशों को वापस ले सरकार।  

इन्होंने दायर की है याचिका 

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, अनुराधा बसिन समेत कई अन्य नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में पाबंदियों के खिलाफ याचिका दायर की थी। जम्मू-कश्मीर में अभी किसी बाहरी राजनेता को जाने की इजाजत नहीं थी, इंटरनेट, मोबाइल कॉलिंग की सुविधा पर कुछ पाबंदियां लागू की गई थीं। जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी. आर. गवई की बेंच इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाई थी और केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। जिसके बाद से सुरक्षा कारणों से घाटी में इंटरनेट सेवाओं पर बैन लगाया था। 

Share this article
click me!