प्रमोशन के लिए आरक्षण किसी का मौलिक अधिकार नहीं; SC ने कहा, किसी भी राज्य पर दबाव नहीं बना सकते

सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के लिए आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। बेंच ने कहा कि सरकारी सेवा में कुछ समुदायों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व न दिए जाने का आंकड़ा सामने लाए बिना राज्य सरकारों को ऐसे प्रावधान करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

Asianet News Hindi | Published : Feb 9, 2020 10:49 AM IST

नई दिल्ली. सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के लिए आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण की मांग करना मौलिक अधिकार नहीं है। शुक्रवार को जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने कहा कि सरकारी सेवा में कुछ समुदायों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व न दिए जाने का आंकड़ा सामने लाए बिना राज्य सरकारों को ऐसे प्रावधान करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। यह राज्य सरकार के विवेक पर निर्भर करता है कि उन्हें प्रमोशन में आरक्षण देना है या नहीं? कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की अपील पर यह फैसला सुनाया।

क्या कहा कोर्ट ने? 

शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 16 (4) और 16 (4-ए) आरक्षण लागू करने की शक्ति जरूर देता है, लेकिन यह तभी हो सकता है जब राज्य सरकार यह मानती हो कि सरकारी सेवाओं में कुछ समुदायों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। बेंच ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्य सरकार आरक्षण देने को प्रतिबद्ध नहीं है। लेकिन किसी व्यक्ति द्वारा इसको लेकर दावा करना मौलिक अधिकारों का हिस्सा नहीं है और न ही इस संबंध में कोर्ट राज्य सरकार को कोई आदेश जारी कर सकता है।”

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा 2012 में दिए गए उस फैसले को पलट दिया है। जिसमें विशेष समुदायों को कोटा देने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिया गया था। उस दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, कोलिन गोंजाल्विस और दुष्यंत दवे ने दलील दी थी, अनुसूचित जाति/जनजातियों के लिए अनुच्छेद 16 (4) और 16 (4-ए) के तहत विशेष प्रावधान करना राज्य सरकार का कर्तव्य है।

क्या कहा था हाईकोर्ट ने 

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए क्वांटिटेटिव डेटा सौंपे। इसके जरिए यह पता लगाया जाना था कि सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं, ताकि प्रमोशन में आरक्षण दिया जा सके। इस फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। साल 2018 में पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि ‘क्रीमी लेयर' को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने 7 न्यायाधीशों वाली पीठ से इसकी समीक्षा करने का अनुरोध किया था।

इस मामले में दिया फैसला

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उत्तराखंड सरकार के लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता (सिविल) के पदों पर पदोन्नति में एससी और एसटी को आरक्षण से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। इस मामले में उत्तराखंड सरकार ने आरक्षण नहीं देने का फैसला किया, जबकि हाईकोर्ट ने राज्य को SC / ST के प्रतिनिधित्व के संबंध में पहले डेटा इकट्ठा करने और फिर कोई फैसला करने का निर्देश दिया। 

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सहायक अभियंता के पदों पर पदोन्नति द्वारा भरे जाने भविष्य के सभी रिक्त पद केवल एससी और एसटी के सदस्यों के होने चाहिए।

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