सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्य सरकारें शराब की होम डिलीवरी पर विचार करें, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शराब की होम डिलीवरी और शराब की बिक्री को लेकर राज्य सरकारों को निर्देश देने वाली याचिका पर आदेश देने से इंकार कर दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए राज्य शराब की सीधी बिक्री की बजाए होम डिलीवरी जैसे उपाय पर विचार करें।

Asianet News Hindi | Published : May 8, 2020 9:29 AM IST

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शराब की होम डिलीवरी और शराब की बिक्री को लेकर राज्य सरकारों को निर्देश देने वाली याचिका पर आदेश देने से इंकार कर दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए राज्य शराब की सीधी बिक्री की बजाए होम डिलीवरी जैसे उपाय पर विचार करें।

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने याचिका लगातार शराब की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिका में शराब की दुकानों पर उमड़ी भीड़ का हवाला दिया गया था। इससे स्वास्थ्य को खतरे की बात कही गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, इस मामले पर राज्य सरकारें ध्यान दे रही हैं। इसलिए हम इसपर कोई दखल नहीं दे सकते।

राज्य विचार करें- सुप्रीम कोर्ट
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो, इसके लिए राज्य सरकारों को शराब की सीधी बिक्री के बजाय होम डिलीवरी जैसे उपायों पर ध्यान देना चाहिए। 

सोशल डिस्टेंसिंग शब्द को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सोशल डिस्टेंसिंग और सामाजिक दूरी जैसे शब्दों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। याचिकाकर्ता शकील कुरैशी ने याचिका में कहा था कि यह शब्द अल्पसंख्यकों से भेदभाव करने वाला है। 

प्राइवेट कालेजों में फीस लेने पर रोक लगाने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन में प्राइवेट कॉलेजों में छात्रों से लग रही फीस में छूट दिलाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, अगर कॉलेज फीस हीं लेंगे तो चलेंगे कैसे। स्टाफ को वेतन कैसे दिया जाएगा। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा,  छात्रों और कालेज प्रशासन के बीच कुछ बैलेंस ही करवा दीजिए, कोर्ट ने कहा, इस बारे में खुद यूनिवर्सिटी से बात करें। 

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