बुलडोजर एक्शन असंवैधानिक व अमानवीय...योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, पीड़ितों को 10-10 लाख मुआवजा का आदेश

Published : Apr 01, 2025, 03:29 PM ISTUpdated : Apr 01, 2025, 03:40 PM IST
Supreme Court of India (File Photo/ANI)

सार

SC takes on Yogi Government for bulldozer action: सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में घरों पर हुई बुलडोजर कार्रवाई को 'असंवैधानिक' और 'अमानवीय' करार दिया। कोर्ट ने कहा कि यह राइट टू शेल्टर (Right to Shelter) और ड्यू प्रोसेस ऑफ लॉ का उल्लंघन है। 

SC takes on Yogi Government: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज प्रशासन को जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने प्रयागराज में घरों पर हुई बुलडोजर कार्रवाई को 'असंवैधानिक' और 'अमानवीय' करार दिया। कोर्ट ने कहा कि यह हमारे अंतरात्मा को झकझोरने वाला मामला है। राइट टू शेल्टर (Right to Shelter) और कानूनी प्रक्रियाओं (Due Process of Law) का पालन जरूरी है। जस्टिस एएस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने आदेश दिया कि जिन घरों को तोड़ा गया, उनके मालिकों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।

पीड़ितों को एक रात पहले मिला था नोटिस

इससे पहले, कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए घरों को गिराया गया। अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और तीन अन्य लोगों ने अदालत को बताया कि उन्हें बुलडोजर कार्रवाई से एक रात पहले ही नोटिस दिया गया था। याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि प्रशासन ने गलती से उनकी जमीन को गैंगस्टर अतीक अहमद से जुड़ा मान लिया जिसकी हत्या 2023 में हुई थी।

'नोटिस देने की प्रक्रिया पर भी उठाया सवाल', प्रशासन को चेतावनी-भविष्य में ऐसी गलती न हो

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन द्वारा नोटिस देने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया। राज्य के वकील ने कहा कि नोटिस को संपत्तियों पर चिपकाया गया था लेकिन कोर्ट ने पूछा कि इसे रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से क्यों नहीं भेजा गया। जस्टिस ओका ने कहा कि यह चिपकाने वाली प्रक्रिया बंद होनी चाहिए। लोगों ने अपने घर इसलिए गंवाए क्योंकि उन्हें उचित तरीके से नोटिस नहीं मिला। प्रशासन को सख्त चेतावनी दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की गलतियां न हों।

'राइट टू शेल्टर' का उल्लंघन

कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पीड़ितों को 'वाजिब अवसर' नहीं दिया गया जो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (Article 21) का उल्लंघन है। कोर्ट ने प्रशासन को याद दिलाया कि 'राइट टू शेल्टर' नागरिकों का मूल अधिकार है और बिना उचित प्रक्रिया अपनाए इस तरह की कार्रवाई करना पूरी तरह से अवैध है।

'बुलडोजर से सहमे लोग, प्रशासन की असंवेदनशीलता उजागर'

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के अंबेडकर नगर में हुई एक अन्य बुलडोजर कार्रवाई का भी जिक्र किया। कोर्ट ने कहा कि हम सभी ने एक वीडियो देखा जिसमें एक लड़की अपने किताबों को सीने से लगाकर खड़ी थी जबकि उसके घर को बुलडोजर से तोड़ा जा रहा था। यह दृश्य समाज को झकझोरने वाला है। जस्टिस भुयान ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से लोगों में भय का माहौल बनता है।

10 लाख रुपये का मुआवजा तय

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जिन लोगों के घर गिराए गए हैं, उन्हें 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। जस्टिस ओका ने कहा कि यह मुआवजा इसलिए दिया जा रहा है, ताकि भविष्य में प्रशासन ऐसे मामलों में कानूनी प्रक्रिया का पालन करना न भूले। यह फैसला यूपी में हो रही बुलडोजर कार्रवाई को लेकर एक मिसाल साबित हो सकता है, जिससे नागरिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सके।

PREV

Recommended Stories

IndiGo Crisis: 9वें दिन चेयरमैन ने तोड़ी चुप्पी, कहा- 'ये हमारी चूक, माफ कर दीजिए'
SIR Deadline: यूपी-बंगाल समेत कई राज्यों में बढ़ सकती है डेडलाइन, गुरुवार को बड़ा फैसला