जारी रहेगा EWS कोटा, सुप्रीम कोर्ट की लगी मुहर, कहा- संविधान के खिलाफ नहीं गरीब सवर्णों को मिला आरक्षण

EWS कोटा मामले की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है। 5 जजों की संविधान पीठ ने आरक्षण के पक्ष में 3-2 से फैसला सुनाया। तीन जजों ने आरक्षण के पक्ष में फैसला दिया। वहीं, सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने EWS कोटा पर अपनी असहमति दी है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 7, 2022 4:45 AM IST / Updated: Nov 07 2022, 11:23 AM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से सोमवार को केंद्र सरकार को बड़ी राहत मिली है। गरीब सवर्णों को आरक्षण (EWS Quota) देने के लिए सरकार ने संविधान संशोधन (103 वां) किया था। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सोमवार को पांच जजों की संविधान पीठ ने EWS आरक्षण के पक्ष में 3-2 से फैसला सुनाया। सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने EWS कोटा पर अपनी असहमति दी है। 

सीजेआई (Chief Justice of India) यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने 103वें संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया। वहीं, सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट ने EWS को आरक्षण दिए जाने पर अपनी असहमति दी। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने EWS आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि EWS आरक्षण संविधान के खिलाफ नहीं। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने भी EWS कोटा के पक्ष में फैसला दिया। उन्होंने कहा कि EWS आरक्षण संविधान के मूल ढ़ांचे का उल्लंघन नहीं करता। 

EWS के लिए की गई है 10 फीसदी कोटा की व्यवस्था
दरअसल, संविधान संशोधन द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10 प्रतिशत कोटा की व्यवस्था की गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सात दिनों में 20 से अधिक वकीलों की दलील सुनने के बाद 27 सितंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। 7 नवंबर सीजेआई यूयू ललित का आखिरी कार्य दिवस है। वह 8 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं।

संविधान संशोधन की वैधता को याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से कहा था कि ईडब्ल्यूएस कोटा संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है। इसके साथ ही कोर्ट से ईडब्ल्यूएस कोटा रद्द करने का आग्रह किया था। वहीं, केंद्र सरकार और कुछ राज्यों ने कोर्ट में आरक्षण के पक्ष में अपनी बात रखी और इसे जारी रहने देने का आग्रह किया था।

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2019 में हुआ था संविधान संशोधन
गौरतलब है कि गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार ने ईडब्ल्यूएस कोटा का प्रावधान किया था। इसके लिए 2019 में  (103 वां) संविधान संशोधन किया गया था। इसके लिए जनवरी, 2019 में लोकसभा और राज्यसभा में संविधान संशोधन प्रस्ताव पारित किया गया था।  ईडब्ल्यूएस कोटा एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण से अधिक है।

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