सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को NEET PG 2022 के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। NEET के जरिए PG कोर्स के लिए पास हुए उम्मीदवारों ने इंटर्नशिप पूरा करने की समय सीमा 31 मई, 2022 को आगे बढ़ाने की मांग की है। उनका तर्क है कि 2021 में वे सभी COVID ड्यूटी पर थे। इसलिए उनकी इंटर्नशिप में देरी हुई है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने मंगलवार को राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET PG 2022) के नीति क्षेत्र में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने 31 मई 2022 को इंटर्नशिप पूरा करने की समय सीमा के विस्तार को लेकर उम्मीदवारों को केंद्र के समक्ष अपनी बात रखने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये नीतिगत मामला है इसलिए सरकार के इस अधिकार में हम दखल नहीं देंगे।
कोविड ड्यूटी के कारण इंटर्नशिप में देरी को बताया आधार
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को NEET PG 2022 के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। NEET के जरिए PG कोर्स के लिए पास हुए उम्मीदवारों ने इंटर्नशिप पूरा करने की समय सीमा 31 मई, 2022 को आगे बढ़ाने की मांग की है। उनका तर्क है कि 2021 में वे सभी COVID ड्यूटी पर थे। इसलिए उनकी इंटर्नशिप में देरी हुई है। चूंकि यह NEET PG 2022 परीक्षा में उपस्थित होने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है इसलिए इसकी तारीख बढ़ाई जानी चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले सप्ताह ही पहले निर्धारित NEET PG 2022 को 4 से 6 हफ्ते सप्ताह के लिए टालने का फैसला किया है। हालांकि, मेडिकल स्टूडेंट्स का कहना है कि आवेदन के लिए भी समय सीमा भी बढ़ाए जाने की जरूरत है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ ने कहा कि वह इस मामले में दखल नहीं दे सकती।
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केंद्र को समस्या पर तेजी से विचार करने के आदेश
पीठ ने अपने आदेश में कहा - याचिकाकर्ता डॉक्टर हैं, जो आगामी NEET-PG परीक्षा के लिए उपस्थित होने के इच्छुक हैं। वे 31 मई, 2022 की कट-ऑफ तारीख से व्यथित हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि इस स्तर पर यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जिस आधार पर अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की गई थी, वह यह थी कि एनईईटी-पीजी 2021 और एनईईटी-पीजी 2022 परीक्षा के लिए काउंसलिंग के कार्यक्रम के बीच संभावित टकराव था। नीट-पीजी परीक्षा स्थगित होने से अब यह मामला सुलझ गया है। चूंकि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे के लिए तथ्यों के साथ-साथ नीति के पहलुओं को निर्धारित करने के कुछ तत्वों की जरूरत होती है, हमारा विचार है कि याचिकाकर्ताओं को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने की अनुमति देकर न्याय किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि हम अनुरोध करते हैं कि छात्रों के आवेदन पर तेजी से विचार किया जाए।
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