समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला किया है। कोर्ट ने कहा कि विवाह मौलिक अधिकार नहीं है। लेकिन सभी समुदायों को एक समान अधिकार मिलने चाहिए।
Supreme Court On Same-Sex Marriages. सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज यानि समलैंगिक विवाह को लेकर अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि विवाह मौलिक अधिकार नहीं है और यह स्थायी भी है। इसका स्वरूप बदलता रहता है। लेकिन समाज के सभी समुदायों की जाति, लिंग, भाषा या किसी भी तरह अलग होने के आधार सुविधाओं में कटौती नहीं की जा सकती। इसलिए एलजीबीटी कम्यूनिटी को सभी सुविधाएं बिना किसी भेदभाव के दी जानी चाहिए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस मुद्दे पर व्यापक बहस की गई थी। पक्ष-विपक्ष में कई तरह के तर्क भी दिए गए लेकिन अंत में कोर्ट ने यह बहुत बड़ा फैसला सुना दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की 10 बड़ी बातें
Same-Sex Marriages: क्यों हुई सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को समलैंगिक विवाहों के मामले में फैसला सुना सकता है। इससे जुड़ी याचिकाओं पर मैराथन सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई वाली पीठ में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एसके कौल, एसआर भट्ट, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। यह सुनवाई 18 समलैंगिक जोड़ों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिका के बाद की गई थी। समलैंगिक जोड़ों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता और समाज में अपने रिश्ते को मान्यता देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की गई है कि विशेष विवाह अधिनियम में विवाह में समान लिंग वाले जोड़े भी शामिल किए जाएं।
यह भी पढ़ें
Same Sex Marriage Case: जॉइंट अकाउंट, पेंशन...समलैंगिक शादी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कुछ कहा