एक संस्था ने कोरोना महामारी को लेकर अव्यवस्था पर एक सर्वे किया। इस सर्वे में 309 जिलों के 17 हजार से अधिक लोगों ने अपनी राय प्रकट की। इस सर्वे में काफी चौकाने वाली बातें सामने आई। हालांकि, पूर्व में किए गए एक सर्वे में भी संस्था ने दूसरी लहर में दवाइयों की कालाबाजारी, बेड की कमी आदि की आशंका जताते हुए एक चेतावनी जारी की थी।
नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। तेजी से फैल रहे संक्रमण का हाल है कि लोग आईसीयू और बेड तक के लिए भटक रहे हैं। हर ओर कोविड से लड़ने के लिए आवश्यक दवाइयों, इंजेक्शन्स, बेड, वेंटीलेटर, Ocygen का अभाव सामने आ रहा। अस्पताल भरे पड़े हैं, मरीज से भरा एंबुलेंस अस्पतालों से बाहर खड़ा है। एक महीने में कोरोना संक्रमण 17 गुना बढ़ा है। 16 हजार केस से बढ़कर 275000 के करीब पहुंच चुका है।
सर्वे में चौकाने वाली बातें सामने आई
लोकल सर्किल्स नामक एक संस्था ने कोरोना महामारी को लेकर अव्यवस्था पर एक सर्वे किया। इस सर्वे में 309 जिलों के 17 हजार से अधिक लोगों ने अपनी राय प्रकट की। इस सर्वे में काफी चौकाने वाली बातें सामने आई। हालांकि, पूर्व में किए गए एक सर्वे में भी संस्था ने दूसरी लहर में दवाइयों की कालाबाजारी, बेड की कमी आदि की आशंका जताते हुए एक चेतावनी जारी की थी।
बिना सिफारिश महज 13 प्रतिशत लोगों को मिल सका बेड
सर्वे में लोगों से पूछा गया कि पिछले 45 दिनों में आईसीयू में बेड लेने में कितनी सहूलियतें रहीं। इस पर 42 प्रतिशत लोगों ने बताया कि बेड नहीं मिल रहा था तो उन लोगों ने अपने परिचित और रसूख वाले लोगों से संपर्क किया। 24 प्रतिशत लोगों ने बताया कि काफी मेहनत के बाद बेड हासिल हो सकी। जबकि 3 प्रतिशत लोगों का कहना था कि सोशल मीडिया पर मदद मांगनी पड़ी, भारत सरकार को शिकायत करनी पड़ी तब जाकर कहीं बेड हासिल हो सका। महज 13 प्रतिशत लोगों ने बताया कि बिना किसी सहायता के उनको आईसीयू बेड हासिल हो गया। 5 प्रतिशत ने बताया कि उनको कोशिशों के बावजूद कोई बेड नहीं मिल सका। इस सर्वे के नतीजों के अनुसार 13 प्रतिशत को आसानी से बेड मिल गए जबकि 55 प्रतिशत को अपने दबदबा वाले लोगों से कनेक्शन या किसी अन्य उपायों से बेड हासिल हो सका। 27 प्रतिशत को सोशल मीडिया व सरकार से शिकायत करने के बाद आईसीयू बेड हासिल हो सका। सर्वे के नतीजों के अनुसार जिनके पास कोई बड़ा जुगाड़ नहीं था, उनमें से अधिकतर को बेड नहीं हासिल हो सका। इस सर्वे में 8645 लोगों ने हिस्सा लिया।
अधिक कीमत पर इजेक्शन व दवाइयों खरीदा लोगों ने
सर्वे में लोगों से कोविड मरीजों के लिए आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता और खरीदारी के संबंध में जब पूछा गया तो शर्मनाक पहलू सामने आया। कोविड से लड़ने वाली दवाइयों, इजेक्शन्स को बहुत से लोगों को ब्लैक में खरीदना पड़ा तो कइयों को इसके लिए रिश्वत भी देनी पड़ी। सर्वे में भाग लेने वाले 28 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उनको बड़े रसूख वालों की सिफारिश से दवाइयों/इंजेक्शन हासिल हो सका। जबकि 7 प्रतिशत लोगों ने बताया कि बाजार में कई गुना अधिक दाम देकर खरीदा। 4 प्रतिशत लोगों ने बताया कि अस्पताल में रिश्वत देकर दवाइयों का इंतजाम कराया। 20 प्रतिशत लोगों को कोशिशों के बाद भी दवाइयां नहीं मिल सकी। 28 प्रतिशत लोगों ने नहीं बताया कि दवाइयों का इंतजाम करने के लिए क्या किया। महज 13 प्रतिशत ही यह कहे कि अस्पताल ने उनके लिए दवाइयों का इंतजाम किया।