GOOD NEWS: कोरोना संक्रमण से फेफड़ों को बचाएगी 'मोलनुपीरवीर' नामक दवा, अंतिम स्टेज पर है रिसर्च

कोरोना ने सारी दुनिया को संक्रमित कर दिया है। अमेरिका और यूरोपीयन जैसे विकसित देश भी इसकी चपेट से खुद को नहीं बचा सके हैं। भारत भी टॉप-2 की पोजिशन पर है। लेकिन संक्रमण से लड़ाई को लेकर लगातार अच्छी खबरें भी आ रही हैं। दुनिया में कई वैक्सीन भी आ चुकी हैं। इस बीच नेचर पत्रिका ने एक दवा के बारे में रिसर्च पेपर पब्लिश किया है। इस दवा का नाम है- 'मोलनुपीरवीर' जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह फेफड़ों को संक्रमण के नुकसान से बचाएगी। यह दवा भी परीक्षण के अंतिम दौर में है।
 


नई दिल्ली. दुनिया में कोरोना संक्रमण ने हाहाकार मचा दिया है, लेकिन इंसान की जीवटता उससे पूरी ताकत से लड़ाई लड़ रही है। पिछले साल यानी मार्च 2020 में कोरोना की सुगबुगाहट सुनाई पड़ी थी, तब किसी को नहीं मालूम था कि यह क्या बीमारी है, शरीर पर कैसा असर करती है और उससे कैसे बचा जा सकता है। लेकिन एक साल के अंदर ही भारत सहित दुनिया के कई देशों ने इसकी वैक्सीन तैयार कर ली। उससे बचने का तौर-तरीका भी खोज निकाला। हालांकि संक्रमण पर अभी काबू नहीं पाया जा सका है, लेकिन उम्मीद है कि वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ते ही बीमारी पर ब्रेक लगेगा। इसी बीच एक गुड न्यूज सामने आई है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) और ब्रिटेन की प्लायमाउथ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एक दवा एमके-4482 पर रिसर्च कर रहे थे। यह दवा कोरोना वायरस सार्स सीओवी-2 संक्रमण को रोकने में प्रभावी है। लक्षण दिखने के 12 घंटे पहले या 12 घंटे बाद इसे लेने पर संक्रमण अपना बुरा प्रभाव नहीं छोड़ पाता। इस दवा का नाम है-मोलनुपीरवीर। 

यह ओरल ड्रग है
मोलनुपीरवीर एक ओरल ड्रग है। यानी इसे मुंह से लिया जाता है। इस दवा को लेकर चूहों पर सफल परीक्षण हो चुका है। इंसानों पर अंतिम परीक्षण चल रहा है। इस दवा को एंफ्लुएंजा(Influenza) के इलाज के लिए तैयार किया गया था। लेकिन अब यह कोरोना में मददगार साबित हो सकती है। इसका चूहों की एक प्रजाति (हैम्स्टर) पर किए गए परीक्षण से पता चला कि दवा लेने से संक्रमण फेफड़ों को डैमेज नहीं कर पाता है। इस दवा पर चल रही रिसर्च को नेचर कम्युनिकेशन नामक पत्रिका ने 16 अप्रैल को प्रकाशित किया है।

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प्लायमाउथ विश्वविद्यालय में वायरोलॉजी एवं इम्यूनोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और एनआइएच में गेस्ट रिसर्चर माइकल जर्विस ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 के रोकने अभी कोई प्रभावी वैक्सीन सामने नहीं आई है। लेकिन इस दवा का रिजल्ट उत्साहवर्धक मिला है। फार्मा कंपनी जुबिलेंट फार्मोवा ने सोमवार को बताया कि उसकी सहयोगी इकाई जुबिलेंट फार्मा ने कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल हो रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन के भी ओरल ड्रग का सफल परीक्षण कर लिया है। जुबिलेंट फार्मोवा ने बांबे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि भारत में इसका परीक्षण जानवरों और स्वस्थ्य लोगों पर किया गया है। अब कंपनी दवा पर आगे के रिसर्च के लिए भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) से अनुमति मांग रही है।

क्या है सार्स-सीओवी-2
स्वास्थ्य मंत्रालय ने 15 अप्रैल तक 13,614 नमूनों की जांच की थी। इनमें से 1,189 नमूने सार्स-सीओवी-2 के निकले थे। इनमें ब्रिटिश स्वरूप के 1,109 नमूने, दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप के 79 नमूने और ब्राजीलियाई स्वरूप का एक नमूना भी शामिल है। बता दें कोरोना वायरस अपना स्वरूप बदल रहा है। इन स्वरूपों में फैलने की क्षमता अधिक है। इसे डबल म्यूटेशन भी कहते हैं। यह हवा के जरिये भी फैल सकता है। 

यह भी जानें
भारत में अब तक 15.3M केस आ चुके हैं। पिछले 24 घंटे में 259K केस मिले। कुल 13.1M रिकवर हो चुके हैं। पिछले 24 घंटे में 155K रिकवर हुए। अब तक 181K लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में 1,761 लोगों की मौत हुई। जबकि दुनिया में अब तक 141M केस आ चुके हैं। इसमें से 80.4M रिकवर हो चुके हैं, जबकि  3.01M की मौत हो चुकी है। भारत में 1 मई से 18 और उससे ऊपर के सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन शुरू किया जा रहा है।

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