सार

असम-मणिपुर सीमा के पास तीन शव मिले, जिन्हें राहत शिविर से अगवा किया गया था। बाकी तीन लोग अभी भी लापता हैं। जातीय हिंसा के बीच यह घटना चिंताजनक है।

इंफाल। असम-मणिपुर सीमा के पास जिरीमुख में शनिवार सुबह एक महिला और दो बच्चों के शव मिले। उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ के बाद मणिपुर के जिरीबाम स्थित एक राहत शिविर से छह लोगों को अगवा कर लिया गया था। मना जा रहा है कि इनमें से तीन के शव मिले हैं। बाकी तीन अभी तक लापता हैं।

11 नवंबर को विद्रोहियों के एक समूह ने बोरोबेकरा क्षेत्र में पुलिस स्टेशन पर हमला किया था। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई कर हमले को विफल कर दिया। इस मुठभेड़ में 11 विद्रोही मारे गए थे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीछे हटते समय आतंकवादियों ने पुलिस स्टेशन के पास स्थित एक राहत शिविर से तीन महिलाओं और तीन बच्चों को अगवा कर लिया था।

अगवा किए गए लोगों की तलाश के लिए सुरक्षा बलों द्वारा सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। दो महिलाओं और एक बच्चे का अभी तक पता नहीं चल पाया है। लापता छह लोगों की कथित तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। पुलिस ने यह पुष्टि नहीं की है कि उनका अपहरण हुआ था या नहीं।

डेढ़ साल से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच चल रही जातीय हिंसा

बता दें कि मणिपुर में पिछले करीब डेढ़ साल से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा जारी है। इसके चलते सैकड़ों लोगों की मौत हुई है और हजारों विस्थापित हुए हैं। हाल के दिनों में हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। पहले जिरीबाम इम्फाल घाटी और आसपास की पहाड़ियों में होने वाली झड़पों से काफी हद तक अछूता रहा था। जून 2024 में खेत में एक किसान का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद यहां हिंसक घटनाएं हो रहीं हैं।

7 नवंबर को तीन बच्चों की मां आदिवासी महिला की हथियारबंद उग्रवादियों ने हत्या कर दी थी। महिला के साथ पहले रेप किया गया फिर उसे थर्ड-डिग्री टॉर्चर दिया गया था। महिला को जिंदा जला दिया गया था। वह 99 प्रतिशत जल गई थी। उसके शरीर के कई अंग गायब थे।

इस बीच, 11 नवंबर को सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग करते हुए एक विरोध मार्च निकाला गया। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि मारे गए लोग "आदिवासी स्वयंसेवक" थे जो अपने गांवों और निर्दोष लोगों की रक्षा कर रहे थे।

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