
मुंबई. महाराष्ट्र में अगली सरकार में सत्ता बंटवारों को लेकर खींचतान जारी है। गठबंधन ने चुनाव में बहुमत हासिल कर लिया है मगर सरकार में हिस्सेदारी और मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। अभी तक नई सरकार बनाने का रास्ता साफ नहीं हो पाया है। इस बीच खबर यह है कि गठबंधन के दोनों दल राज्यपाल से अलग-अलग मुलाक़ात कर रहे हैं।
आज सुबह शिवसेना नेता दिवाकर राऊत के नेतृत्व में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से जाकर मिला। इसके कुछ देर बाद मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस भी राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे। कहा जा रहा है कि ये कवायद दोनों की ओर से एक-दूसरे पर दबाव बढ़ाने के लिए है। उधर, दोनों पार्टियां अपना संख्या बल बढ़ाने के लिए निर्दलीय विधायकों को अपने पक्ष में करने का प्रयास भी कर रही हैं। भाजपा और शिवसेना ने अपना सख्ंया बल बढ़ाने के प्रयास के तहत रविवार को पांच विधायकों (तीन निर्दलीय एवं छोटे दलों के दो विधायकों) का समर्थन प्राप्त किया। भाजपा को समर्थन की घोषणा करने वाले तीन निर्दलीय विधायकों में गीता जैन, राजेंद्र राउत और रवि राणा का नाम शामिल बताया जा रहा है।
ठाणे जिले की मीरा भयंदर सीट से जीतीं गीता जैन ने यहां मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया। विधानसभा चुनाव में वह भाजपा से टिकट चाहती थीं और नहीं मिलने पर निर्दलीय खड़ी हो गई थीं। जैन ने पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशी नरेंद्र मेहता को हरा दिया था। राउत भी भाजपा के बागी प्रत्याशी थे और उन्होंने सोलापुर जिले की बरसी सीट से शिवसेना के आधिकारिक प्रत्याशी दिलीप सोपाल को हरा दिया था।
राणा ने अमरावती जिले के बडनेरा सीट पर अपने निकटवर्ती प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी प्रीति बंद (शिवसेना) को हराया। जैन और राउत ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की जबकि राणा ने चिट्ठी लिखकर यह घोषणा की। इससे पहले, अचलपुर से विधायक बच्चु काडु और उनके सहयोगी एवं मेलघाट से विधायक राजकुमार पटेल ने शिवसेना को समर्थन देने की पेशकश की। दोनों सीटें विदर्भ के अमरावती जिले की हैं। काडु प्रहर जनशक्ति पार्टी के प्रमुख हैं।
जैन से जब बहुजन विकास अगाड़ी प्रमुख एवं वसई से विधायक हितेंद्र ठाकुर से शनिवार को की उनकी मुलाकात के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह चुनाव प्रचार में सहयोग के लिए धन्यवाद देने गई थीं। जैन को चुनाव के दौरान कांग्रेस- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने समर्थन किया था लेकिन ठाकुर से मुलाकात के बाद उनके राजनीतिक कदम को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया। जब काडु के समर्थन के बारे में पूछा गया तो शिवसेना के नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि इससे पार्टी की भाजपा के साथ तोलमोल करने की ताकत बढ़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने 2014-19 के दौरान भाजपा के साथ समायोजन किया लेकिन अब यह समय अपनी हिस्सेदारी प्राप्त करने का है।’’
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के नतीजों में 2014 के मुकाबले भाजपा की कम सीटें आने के बाद से शिवसेना ने अपना रुख कड़ा कर लिया है और सरकार में 50-50 फीसदी हिस्सेदारी की मांग कर रही है।