CAB नहीं है मुस्लिम विरोधी, भारतीय मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख सैयद गयूरुल हसन रिजवी ने शनिवार को कहा कि यह मुस्लिम विरोधी नहीं है और भारतीय मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे घुसपैठिये या शरणार्थी नहीं हैं

Asianet News Hindi | Published : Dec 15, 2019 7:42 AM IST / Updated: Dec 15 2019, 01:13 PM IST

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर खड़े हुए सियासी बवाल के बीच राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख सैयद गयूरुल हसन रिजवी ने शनिवार को कहा कि यह मुस्लिम विरोधी नहीं है और भारतीय मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे घुसपैठिये या शरणार्थी नहीं हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार से अपेक्षा है कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लाने पर वह इस बात का ध्यान रखेगी कि भारतीय मुसलमानों को कोई परेशानी नहीं हो। रिजवी ने मीडिया से कहा, ''यह कानून अल्पसंख्यक विरोधी नहीं है पारसी, ईसाई, सिख, जैन और बौद्ध भी अल्पसंख्यक हैं। कुछ राजनीतिक लोग कह रहे हैं कि यह मुस्लिम विरोधी है लेकिन यह मुस्लिम विरोधी नहीं है। भारत के मुसलमानों के बारे में इस विधेयक में कुछ नहीं कहा गया है।'' 

हम तो भारतीय मुसलमान 

उन्होंने कहा, ''यहां के मुसलमानों को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुसलमानों से क्या लेना देना है? हम तो भारतीय मुसलमान हैं। भारतीय मुसलमान को डरने और घबराने की जरूरत नहीं है। भारतीय मुसलमानों को इससे कोई खतरा नहीं है।''  अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख ने कहा, "यहां के मुसलमान घुसपैठिये नहीं हैं। यहां का मुसलमान सम्मानित नागरिक है और इसको यहां से निकालने का कोई सवाल नहीं है। गृह मंत्री ने भी यही बात कही है।

एनआरसी को लेकर मुस्लिम समाज में भय होने के सवाल पर रिजवी ने कहा, ''निश्चित तौर पर जब एनआरसी आएगी तो सरकार से अपेक्षा है कि वह इस पर जरूर ध्यान देगी कि भारतीय मुसलमानों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो।'' 

कई राजनीतिक दल कर रहें हैं विरोध

नागरिकता संशोधन कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दल और कई मुस्लिम संगठन इस विधेयक का यह कहते हुए विरोध कर रहे हैं कि इसमें धार्मिक आधार पर भेदभाव किया गया है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)

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