
Tahawwur Rana Confession: मुंबई 26/11 आतंकी हमले (Mumbai Attacks 26/11) के प्रमुख साजिशकर्ता ताहाव्वर हुसैन राणा (Tahawwur Rana) ने पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए पाकिस्तानी आर्मी और आईएसआई के रिश्तों का काला सच सामने लाया है। राणा ने भारत लाए जाने के बाद पूछताछ में कई अहम राज खोले हैं। क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक 64 वर्षीय राणा ने माना कि उसने डेविड कोलमैन हेडली (David Headley) को भारत में सीएसटी (Chhatrapati Shivaji Terminus) समेत अहम टारगेट पहचानने में मदद की थी।
राणा ने बताया कि उसने 1986 में पाकिस्तानी आर्मी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस (MBBS) किया और पाकिस्तानी सेना में कैप्टन डॉक्टर बना। उसे सिंध, बलूचिस्तान, बहावलपुर और सियाचिन-बालोत्रा जैसे संवेदनशील इलाकों में पोस्टिंग मिली। सियाचिन में उसकी तबीयत खराब होने पर उसे ड्यूटी से गायब घोषित कर ‘डिजर्टर’ करार दिया गया। हेडली ने इसी रिकॉर्ड को क्लीन करने का लालच देकर राणा को साजिश में शामिल किया। राणा ने कबूला कि पाकिस्तानी मिलिट्री उसे भरोसेमंद मानती थी और Gulf War के दौरान उसे सऊदी अरब सीक्रेट मिशन पर भी भेजा था।
राणा और हेडली 1974-79 के बीच Cadet College Hasan Abdal में साथ पढ़े थे। राणा ने बताया कि हेडली की मां अमेरिकी थीं और पिता पाकिस्तानी। सौतेली मां से अनबन के बाद हेडली अमेरिका चला गया और वहीं लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में आया। 2003-04 में हेडली ने तीन बार लश्कर के कैंपों में ट्रेनिंग ली। राणा ने पूछताछ में कहा कि हेडली का कहना था कि लश्कर जिहादी संगठन से ज्यादा जासूसी नेटवर्क की तरह काम करता है।
NIA की चार्जशीट के मुताबिक, हेडली इमिग्रेंट लॉ सेंटर (Immigrant Law Centre) नामक फर्जी कंपनी के जरिए भारत आया और दिल्ली, मुंबई, जयपुर, पुष्कर, गोवा और पुणे जैसे शहरों में टारगेट्स का सर्वे किया। राणा ने माना कि इस कंपनी का आइडिया उसी का था और कंपनी को चलाने के लिए एक महिला को रखा गया था। राणा ने खुलासा किया कि वह 20 और 21 नवंबर 2008 को मुंबई के पवई के होटल में ठहरा और हमले से ठीक पहले दुबई होते हुए बीजिंग चला गया।
2023 में दाखिल 405 पेज की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में कहा गया कि राणा ने हेडली को भीड़भाड़ वाली जगहों की रेकी कराने में मदद की। 14 गवाहों ने राणा की भूमिका की पुष्टि की। पूछताछ में राणा ने पाकिस्तानी अधिकारियों सज्जिद मीर, अब्दुल रहमान पाशा और मेजर इकबाल को जानने की बात मानी, जो हमलों की साजिश में शामिल रहे। राणा ने यह भी माना कि उसने हेडली को फर्जी दस्तावेजों से भारत भेजने में मदद की और लश्कर व ISI के साथ एक्टिव कोआर्डिनेशन रखा।