पुलिस चेकिंग, टोल टैक्स से बचने के लिए वाहनों पर सरकारी बोर्डों के दुरुपयोग पर कार्रवाई करें : केरल हाईकोर्ट

सड़क सुरक्षा नीति, मोटर वाहन अधिनियम, मोटर वाहन (ड्राइविंग) विनियम, 2017 के प्रावधानों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अदालत के पिछले आदेशों का पालन न करने के लिए अवमानना ​​के मामले में यह निर्देश आया है।  
 

कोच्चि। केरल हाईकोर्ट (Kerala High court) ने राज्य में बिना अधिकार सरकारी नेमप्लेट लगाकर चल रहे माल वाहनों पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस अनिल के नरेंद्रन ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने 9 फरवरी 2022 को ऑल केरल ट्रक ओनर्स एसोसिएशन द्वारा शुरू किए गए अवमानना ​​मामले में कोर्ट के पिछले आदेशों का पालन करने के साथ ही केरल मोटर अधिनियम 2017 का अनुपालन कराने का निर्देश जारी किया। 

पुलिस और अधिकारियों को गुमराह कर रहे वाहन चालक
कोर्ट ने कहा कि राज्य में कई मोटर वाहन केरल सरकार, केरल राज्य, सरकारी वाहन जैसे नेम प्लेट लगाकर पुलिस और अधिकारियों को गुमराह करते हैं। इससे लगता है कि यह वाहन सरकारी विभाग के स्वामित्व में हैं। लेकिन ऐसे वाहनों में व्यक्ति यह दिखावा कर रहे हैं कि वे सरकारी कर्मचारी हैं और वे पुलिस, मोटर वाहन विभाग के प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा वाहन की जांच से बचने के लिए ऐसे नाम बोर्डों का दुरुपयोग कर रहे हैं। ये टोल बूथों पर टोल टैक्स भी नहीं देते। कोर्ट ने कहा कि पुलिस और मोटर वाहन विभाग के प्रवर्तन अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे ऐसे वाहनों पर नज़र रखें, उनकी पूरी जांच करें। इसके अलावा उनमें व्यक्तियों की पहचान की पुष्टि करें और कानून के अनुसार उचित कार्यवाही शुरू करें। 

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कोर्ट ने कहा- लाइसेंस सस्पेंड करें
अवमानना का यह मामला अनूप केए बनाम केआर ज्योतिलाल मामले में कोर्ट के निर्देशों के तहत सामने आया। दरअसल, उस केस में कहा गया था कि केंद्रीय मोटर वाहन नियम के नियम 21 के खंड (8) के प्रावधानों के मद्देनजर माल वाहनों में ओवरलोड माल होने पर नियम बनाए जाएं, जिससे जनता के लिए खतरा न उत्पन्न हो। इसमें कहा गया था कि यदि इस निर्देश का पालन नहीं किया जाता है वाहन चालक के ड्राइविंग लाइसेंस को परिवहन अधिकारी सस्पेंड करें। लेकिन अधिकारियों ने कहा कि कोविड -19 महामारी की स्थिति के कारण, मोटर वाहन विभाग के प्रवर्तन अधिकारियों ने गंभीर अपराधों को छोड़कर ड्राइविंग लाइसेंस को निलंबित नहीं करके नरमी दिखाई। कोर्ट ने माना कि यह वैधानिक प्रावधानों और अनूप केए के फैसले में निहित निर्देशों का उल्लंघन है।

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