हैदराबाद में बीजेपी का बड़ा मंथन शुरू हुआ है। यहां 2-3 जुलाई को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक(BJP Meeting In Hyderabad) शुरू हुई। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जैसे सभी दिग्गज नेता शामिल हो रहे हैं। आमतौर पर प्रोटोकॉल के तहत मुख्यमंत्री ही पीएम का वेलकम करते हैं, लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री 5 महीने में तीसरी बार ऐसा करने से पीछे हट गए। जबकि उन्होंने विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का स्वागत किया।
हैदराबाद. दक्षिण भारत में भाजपा की जड़ें जमाने और इसी साल के अंत में दो राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने जैसे महत्वपूर्ण एजेंडे को लेकर हैदराबाद में बीजेपी का बड़ा मंथन होने जा रहा है। यहां 2-3 जुलाई को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक(BJP Meeting In Hyderabad) शुरू हुई है। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जैसे सभी दिग्गज नेता शामिल हो रहे हैं। आमतौर पर प्रोटोकॉल के तहत मुख्यमंत्री ही पीएम का वेलकम करते हैं, लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव 5 महीने में तीसरी बार उनसे मिलने से पीछे हट गए। सरकार की ओर से जारी प्रोटोकॉल सूचना में बताया गया कि एनिमल हसबेंड्री(पशुपालन) मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव प्रधान मंत्री का हैदराबाद में स्वागत करेंगे। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राव संयुक्त विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का स्वागत करने पहुंचे। यानी उनके स्वागत के लिए राव ने पीएम मोदी के लिए समय नहीं निकाला। रातों-रात उस रास्ते से भाजपा के झंडे-बैनर भी उतार दिए, जहां से यशवंत सिन्हा गुजरे।
इससे पहले भी दो बार मोदी की अगवानी नहीं की
इससे पहले जब मोदी हैदराबाद में आईएसबी के 20वें वार्षिक दिवस समारोह और बिजनेस स्कूल के स्नातक समारोह(graduation ceremony) में भाग लेने के लिए 26 मई को हैदराबाद पहुंचे थे, तब भी तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर उनसे नहीं मिले थे। उस समय वे देवगौड़ा से मिलने बैंगलोर निकल गए थे। इससे पहले 5 फरवरी को मोदी जब मुचिन्तल में मूर्ति statue of equality मूर्ति का अनावरण करने के लिए हैदराबाद पहुंचे थे, तब भी केसीआर ने कहा था कि वे कोविड-19 से पीड़ित हैं।
18 साल बाद हैदराबाद में हो रही भाजपा कार्यकारिणी की बैठक
हैदराबाद में 18 साल बाद पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है। इसमें देशभर से करीब 350 सदस्य शामिल होंगे। बैठक के बाद 3 जुलाई को पीएम मोदी की जनसभा भी होगी। तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव सरकार को लेकर भाजपा के तेवर आक्रामक बने हुए हैं। भाजपा का आरोप है कि राव अपने 3000 दिन से अधिक के कार्यकाल के दौरान 30 घंटे भी दफ्तर में नहीं बैठे। आरोप लगाए जा रहे हैं कि वे रंगीन शामें बिताने, अपने पारिवारिक शासन को बढ़ावा देने के चलते सरकार पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। तेलंगाना में 119 विधानसभा क्षेत्रों की जमीनी हकीकत जानने भाजपा सर्वे करा रही है, ताकि इस सरकार को घेरा जा सके।
भाजपा को रत्तीभर पसंद नहीं करते राव
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव लंबे समय से विपक्षी क्षेत्रीय दलों को एक साथ जोड़ने की कवायद कर रहे हैं। हालांकि वे इसमें सफल नहीं हो पाए हैं। फरवरी में उन्होंने शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे और NCP चीफ शरद पवार से मुलाकात की थी। लेकिन महाराष्ट्र की सरकार गिरने के बाद उनकी यहां से भी उम्मीद टूट गई। इस समय देश में दो मोर्चे एक्टिव हैं। पहला भाजपा के नेतृत्व वाला राजग और दूसरा कांग्रेस के नेतृत्व वाला संप्रग। राव तीसरा मोर्चा बनाना चाहता हैं। वे कांग्रेस को भी पसंद नहीं करते।
चंद्रशेखर राव भाजपा को लेकर अकसर घेरते रहते हैं। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी सवाल उठाए थे। 2018 के तेलंगाना विधाननसभा चुनाव में बीजेपी को महज 7 प्रतिशत वोट मिले थे। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में यह प्रतिशत 20 हो गया था। उप चुनाव में बीजेपी को दो सीटें भी मिली थीं। हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भी भाजपा के आक्रामक चुनाव प्रचार के चलते टीआरएस 99 से 56 सीटों पर सिमट गई थी। नगर निगम में 150 सीटें हैं।
टीआरएस ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की उम्मीदवारी का समर्थन किया है। टीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य आईटी, उद्योग मंत्री केटी रामा राव पार्टी सांसदों के साथ उस समय मौजूद थे, जब सिन्हा ने अपना नामांकन दाखिल किया था। हालांकि टीआरएस ने पहले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए का समर्थन किया था, लेकिन पिछले दिनों दोनों में कड़वाहट आ गई थी। टीआरएस के नौ लोकसभा सदस्य, सात राज्यसभा सदस्य और 101 विधायक हैं।
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