तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन ने दिया इस्तीफा, भाजपा के टिकट पर लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव

तेलंगाना की राज्यपाल और पुडुचेरी की उपराज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन ने इस्तीफा दे दिया है। वह भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव 2024 लड़ सकती हैं।

 

Vivek Kumar | Published : Mar 18, 2024 11:58 AM IST / Updated: Mar 18 2024, 05:30 PM IST

हैदराबाद। तेलंगाना की राज्यपाल और पुडुचेरी की उपराज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सू्त्रों से मिली जानकारी के अनुसार सौंदर्यराजन के लोकसभा चुनाव 2024 में मैदान में उतरने की उम्मीद है। वह तमिलनाडु भाजपा की नेता हैं। भाजपा उन्हें टिकट दे सकती है।

62 साल की सौंदर्यराजन ने नवंबर 2019 में तेलंगाना राज्य की दूसरे राज्यपाल के रूप में शपथ लिया था। फरवरी 2021 में उन्हें पुडुचेरी की उपराज्यपाल की अतिरिक्त जिम्मेदारी मिली थी। वह पुडुचेरी सीट से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ सकती हैं। 2019 के चुनाव में यहां कांग्रेस को जीत मिली थी।

इस्तीफा देने के बाद सौंदर्यराजन ने कहा, "मुझे इस बात की खुशी है कि जनता की सेवा करने के लिए लौट रही हूं। तेलंगाना के सभी लोगों का धन्यवाद। मैं हमेशा तेलंगाना की बहन रहूंगी। मैं उनके प्यार और स्नेह के लिए धन्यवाद देती हूं।"

पुडुचेरी से चुनाव लड़ सकती हैं सौंदर्यराजन

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा को लगता है कि सौंदर्यराजन का पुडुचेरी के लोगों के साथ बहुत अच्छा संपर्क है। ऐसी भी अटकलें हैं कि उन्हें तमिलनाडु से मैदान में उतारा जा सकता है। उन्हें सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम की कनिमोझी की थूथुकुडी सीट से भी टिकट दिया जा सकता है। 2019 के चुनाव में सौंदर्यराजन को इस सीट से उतारा गया था, लेकिन उन्हें कनिमोझी ने आसानी से हरा दिया था। 2009 में वह चेन्नई (उत्तर) सीट से चुनाव लड़ी थीं। उन्हें डीएमके के टीकेएस एलंगोवन ने हराया था।

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सौंदर्यराजन ने तीन बार तमिलनाडु विधानसभा का चुनाव लड़ा है। वह 2006 में राधापुरम से, 2011 में वेलाचेरी से और 2016 में विरुगमपक्कम से चुनावी मैदान में उतरीं, लेकिन तीनों बार हार गईं। राज्यपाल के रूप में कार्यकाल के दौरान सुंदरराजन की तेलंगाना सरकार के साथ कई बार विवाद हुआ। जब तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (BRS) की सरकार थी तब सुंदरराजन ने आरोप लगाया था कि सरकार प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रही है। वहीं, पिछले साल मार्च में बीआरएस ने सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की थी। उसने आरोप लगाया था कि राज्यपाल विधायिका द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी कर रही हैं।

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