यासीन मलिक (Yasin Malik) ने टेरर फंडिंग के एक मामले (Terror funding case) में एनआईए कोर्ट (NIA court) में अपना गुनाह कबूल कर लिया। मलिक को अधिकतम उम्रकैद की सजा मिल सकती है।
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) ने मंगलवार को टेरर फंडिंग (Terror funding) के एक मामले में एनआईए कोर्ट (NIA court) में अपना गुनाह कबूल कर लिया। हाल ही में कोर्ट ने यासीन मलिक समेत कई अलगाववादी नेताओं के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून और आईपीसी के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था। 19 मई को कोर्ट में सजा पर सुनवाई होगी। मलिक को अधिकतम उम्रकैद की सजा मिल सकती है।
16 मार्च 2022 को एनआईए कोर्ट ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर सहित कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। अदालत ने कश्मीरी राजनेता और पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर, व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद भट, उर्फ पीर सैफुल्ला और कई अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का भी आदेश दिया था।
इस बीच अदालत ने औपचारिक रूप से मामले में आरोपी अन्य कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ आरोप तय किए। फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख और नवल किशोर कपूर ने मंगलवार को औपचारिक रूप से अदालत के आदेश की प्रति पर हस्ताक्षर किए और कहा कि वे मामले में मुकदमे का सामना करने के लिए तैयार हैं।
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अलगाव था उद्देश्य
कोर्ट ने कहा कि बहस के दौरान किसी भी आरोपी ने यह तर्क नहीं दिया कि व्यक्तिगत रूप से उनकी कोई अलगाववादी विचारधारा या एजेंडा नहीं है या उन्होंने अलगाव के लिए काम नहीं किया है या तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को भारत के संघ से अलग करने की वकालत नहीं की है। गवाहों ने बयान दिया कि एपीएचसी, विभाजन के बाद उसके गुट और जेआरएल का केवल एक ही उद्देश्य था कि भारत के संघ से जम्मू-कश्मीर का अलगाव हो। गवाहों ने आरोपी शब्बीर शाह, यासीन मलिक, जहूर अहमद शाह वटाली, नईम खान और बिट्टा कराटे को एपीएचसी और जेआरएल से जोड़ा है। एक अन्य गवाह ने एर. राशिद को जहूर अहमद शाह वटाली से जोड़ा। कोर्ट ने नोट किया कि वटाली एपीएचसी और पाकिस्तानी एस्टेब्लिशमेंट/एजेंसियों के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं।
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