भारत ने अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने के मकसद से शुक्रवार को एक अहम फैसला लिया है। रक्षा मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय बैठक में 'प्रोजेक्ट-75 इंडिया' के तहत छह पारंपरिक पनडुब्बियों के लिए निविदा जारी करने के भारतीय नौसेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में हुई। यह प्रोजेक्ट करीब 50000 करोड़ रुपए का है।
नई दिल्ली. भारत लगातार अपनी सैन्य ताकत में ईजाफा कर रहा है। शुक्रवार को इस दिशा में एक नई मिसाल रच दी गई। रक्षा मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय बैठक में 'प्रोजेक्ट-75 इंडिया' के तहत छह पारंपरिक पनडुब्बियों के लिए निविदा जारी करने के भारतीय नौसेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत इन 6 पनडुब्बियों का निर्माण होगा। नौसेना के सूत्रों के अनुसार इस परियोजना में कम से कम 10 साल लगेंगे। बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में हुई। यह प्रोजेक्ट करीब 50000 करोड़ रुपए का है।
क्या है प्रोजेक्ट 75
चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से खुद को सुरक्षित रखने भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने में लगा है। इसे लिए प्रोजेक्ट-75 के अलावा प्रोजेक्ट-17 बनाए गए हैं। 1997 में रक्षा मंत्रालय ने 24 सबमरीन को अधिग्रहण करने का एक प्लान मंजूर किया था। इसे ही प्रोजेक्ट-75 नाम दिया गया था। हालांकि इस पर दो साल तक कोई काम नहीं हुआ। फिर 1999 में कारगिल युद्ध के बाद सरकर की केबिनेट कमेटी और सिक्योरिटी ने इसे मंजूरी दी थी। जुलाई 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 30 साल पुरानी पनडुब्बी योजना को मंजूरी दी थी।
परमाणु हथियारों से लैस होंगी पनडुब्बी
भारतीय नौसेना ने प्रशांत महासागर में अपनी ताकत मजबूत करने कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी (सीसीएस) की ओर से अनुमोदित 30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण योजना में बदलाव करने के लिए केंद्र सरकार से इजाजत मांगी थी। इसके एवज में वो ये पारंपरिक परमाणु संचालित प्लेटफार्म से लैस ये 6 पनडुब्बी चाहती थी। भारत के पास अभी 12 पुरानी पारंपरिक हमलावर पनडुब्बियां और तीन नई कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां हैं।