TRP केस: मुंबई पुलिस के खिलाफ हंसा पहुंची HC, रिपब्लिक मीडिया के खिलाफ गलत बयान देने के लिए दबाव का आरोप

टीआरपी केस में हंसा रिसर्च ग्रुप ने मुंबई पुलिस पर बड़ा आरोप लगाया है। हंसा रिसर्च ग्रुप ने कहा कि रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के खिलाफ गलत बयान देने के लिए मुंबई पुलिस उन्हें मजबूर कर रही है। यह वही कंपनी है जो  BARC के बार-ओ-मीटर (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) का संचालन करती है। कंपनी ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है और मांग की है कि जांच मुंबई पुलिस की बजाय सीबीआई को सौंप दी जाए।

Asianet News Hindi | Published : Nov 6, 2020 4:23 AM IST / Updated: Nov 06 2020, 04:47 PM IST

मुंबई. टीआरपी केस में हंसा रिसर्च ग्रुप ने मुंबई पुलिस पर बड़ा आरोप लगाया है। हंसा रिसर्च ग्रुप ने कहा कि रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के खिलाफ गलत बयान देने के लिए मुंबई पुलिस उन्हें मजबूर कर रही है। यह वही कंपनी है जो  BARC के बार-ओ-मीटर (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) का संचालन करती है। कंपनी ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है और मांग की है कि जांच मुंबई पुलिस की बजाय सीबीआई को सौंप दी जाए।

याचिका में क्या कहा गया है?

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हंसा कंपनी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि पुलिस उनके कर्मचारियों को गलत बयान देने का दबाव बना रहा है। रिपब्लिक टीवी के जारी डॉक्यूमेंट को फर्जी करार देने के लिए कहा जा रहा है। 

हंसा रिपोर्ट के आधार पर दर्ज हुई है FIR

बता दें कि हंसा रिसर्च की रिपोर्ट के आधार पर ही टीआरपी मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं को लगातार अपराध शाखा में लंबे समय तक रखा जाता है और गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है। बार-बार झूठे बयान देने के लिए दबाव बनाया जाता है।

याचिका को हंसा समूह के निदेशक नरसिम्हन के स्वामी, सीईओ प्रवीण ओमप्रकाश और नितिन काशीनाथ देवकर ने दायर किया है। मुंबई के पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह, असिस्टेंट पुलिस इन्स्पेक्टर सचिन वजे और एसीपी शशांक संभल को याचिका में उत्तरदाताओं के रूप में नामित किया गया है। 

कंपनी ने बताया है कि 12 अक्टूबर के बाद से हंसा रिसर्च के कर्मचारियों को बार-बार अपराध शाखा के कार्यालय में बुलाया गया और घंटों इंतजार कराया गया। कंपनी का कहना है कि उसके कर्मचारियों को मुंबई पुलिस ने परेशान कर रही है।

क्या है TRP मामला?

मुंबई पुलिस ने पिछले दिनों टीआरपी रैकेट को लेकर खुलासा किया था। पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया था कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 टीवी चैनल ने टीआरपी सिस्टम से फर्जीवाड़ा किया था। उन्होंने यह भी कहा कि पैसे देकर लोगों को घर में रिपब्लिक टीवी चलाकर रखने को कहा जाता था। हालांकि, पुलिस के इस खुलासे पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

चैनल ने क्या कहा?

उधर, चैनल ने कहा, हमने सुशांत सिह केस और पालघर में लिंचिंग मामले में हमने सरकार से सवाल पूछे। इसलिए षड्यंत्र के तहत मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार ने फेक केस दायर किया। चैनल ने कहा, फेक केस करने से पहले किसी तरह की कोई जांच भी नहीं की गई।

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