नए एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत के लिए भारतीय नौसेना (Indian Navy) को 26 लड़ाकू विमानों की जरूरत है। इसके लिए राफेल एम और F/A-18 के बीच मुकाबला हो रहा है। अमेरिकी नौ सेना के दो विमान अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए गोवा आए हैं।
नई दिल्ली। भारत के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत का इन दिनों समुद्र में परीक्षण चल रहा है। अगस्त में आजादी के 75 साल पूरा होने के मौके पर इसे भारतीय नौसेना (Indian Navy)में शामिल किया जाएगा। इस एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए नए लड़ाकू विमानों की जरूरत है। वर्तमान में भारतीय नौ सेना ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य पर रूसी लड़ाकू विमान मिग 29के को तैनात किया है।
नौ सेना अपने नए एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए अधिक घातक लड़ाकू विमान की तलाश में है। इंडियन नेवी में शामिल होने के लिए फ्रांस के लड़ाकू विमान राफेल एम और अमेरिकी फाइटर प्लेन F/A-18 सुपर हॉर्नेट के बीच मुकाबला चल रहा है। नौ सेना दोनों विमानों को परख रही है कि उसकी जरूरतों के अनुसार कौन अधिक बेहतर विकल्प है। ये विमान भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर से टेकऑफ और लैंडिंग किस तरह कर पाएंगे इसकी भी जांच की जा रही है।
इसी साल जनवरी में राफेल विमान के समुद्री वर्जन ने गोवा के आईएनएस हंसा में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया था। यहां भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर जैसा ही टेकऑफ प्लेटफॉर्म है। इससे उड़ान भरकर विमान यह साबित करते हैं कि वे भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भर सकते हैं और उसपर लैंड कर सकते हैं।
गोवा में अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर रहे हैं F/A-18 सुपर हॉर्नेट
अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा बनाए गए दो F/A-18 सुपर हॉर्नेट विमान इन दिनों गोवा में अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर रहे हैं। वे नौ सेना के शोर तट आधारित परीक्षण सुविधा (shore-based test facility) से स्की-जंप और अन्य क्षमताओं के प्रदर्शन के लिए आए हैं।
अमेरिकी नौ सेना से लिए गए इन विमानों में जरूरी मैकेनिकल और सॉफ्टवेयर बदलाव किए गए हैं। स्की जंप क्षमता के प्रदर्शन के साथ ही बोइंग के अधिकारी भारतीय नौसेना के अधिकारियों को अपने विमान की अन्य खूबियों से भी परिचित कराएंगे। वे बताएंगे कि F/A-18 सुपर हॉर्नेट अपने प्रतिद्वंद्वी राफेल से किन मामलों में आगे है।
एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते हैं राफेल और F/A-18
गौरतलब है कि राफेल एम और F/A-18 विमान एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट होने वाले दुनिया के सबसे अच्छे विमान हैं। क्षमताओं के मामलों में दोनों एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते हैं। दोनों दो इंजन वाले विमान है। किसी मामले में F/A-18 को बढ़त है तो किसी में राफेल को।
भारतीय वायु सेना राफेल विमान इस्तेमाल कर रही है। इसलिए नौसेना भी अगर राफेल को चुनती है तो एक जैसा प्लेटफॉर्म होने से विमान ऑपरेट करने में सुविधा होगी। वहीं, F/A-18 का चुनाव करने पर विविधता मिलेगी। सूत्रों के अनुसार F/A-18 के एक सीट और दो सीट दोनों वर्जन को एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट किया जा सकता है। वहीं, राफेल एम (दो सीट वाला वर्जन) को समुद्र किनारे बने रनवे से ऑपरेट किया जाता है।
खरीदे जाएंगे 26 विमान
2017 में नौसेना की ओर से दो इंजन वाले 57 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन जारी किया गया था। अब इसे घटाकर 26 कर दिया गया है। नौसेना अपने नए एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए 26 लड़ाकू विमान खरीदेगी, जिनमें से कुछ दो सीट वाले वर्जन होंगे। इन्हें ट्रेनर के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
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डीआरडीओ और एयरोनॉटिकल डेवेलपमेंट एजेंसी मिलकर नौसेना के लिए विमान विकसित कर रही है। इस विमान की पहली उड़ान 2026 तक हो सकती है। नौसेना अपनी बाकी जरूरत इस विमान से पूरी करेगी। वर्तमान में नौसेना लड़ाकू विमानों की कमी का सामना कर रही है। नौ सेना ने रूस से 45 मिग-29 के विमान खरीदे थे। इनका इस्तेमाल आईएनएस विक्रमादित्य पर हो रहा है। इन विमानों की उपलब्धता भी बड़ी समस्या रहती है।
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