तब्लीगी जमात में शामिल दो लोगों ने अपनी यात्रा की जानकारी छिपाई, पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया

निजामुद्दीन के तब्लीगी जमात में शामिल लोगों की लापरवाही से कोरोना का खतरा बढ़ गया है। राज्य सरकारों की अपील के बाद भी लोग खुद ब खुद सामने आकर नहीं बता रहे हैं कि वह तब्लीगी जमात में शामिल हुए थे।

Asianet News Hindi | Published : Apr 9, 2020 2:37 PM IST

नई दिल्ली. निजामुद्दीन के तब्लीगी जमात में शामिल लोगों की लापरवाही से कोरोना का खतरा बढ़ गया है। राज्य सरकारों की अपील के बाद भी लोग खुद ब खुद सामने आकर नहीं बता रहे हैं कि वह तब्लीगी जमात में शामिल हुए थे। इस बीच जम्मू-कश्मीर के उधमपुर के दो लोगों को अपनी यात्रा की जानकारी छुपाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह दोनों लोग तब्लीगी में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली गए हुए थे।
 
महाराष्ट्र सरकार ने कहा, तब्लीगी के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय जिम्मेदार
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देखमुख ने दिल्ली में आयोजित तब्लीगी जमात के कार्यक्रम को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि धार्मिक कार्यक्रम से कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए। देशमुख ने यह भी आरोप लगाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने जमात नेता मौलाना साद से उस दौरान देर रात दो बजे मुलाकात की थी जब कार्यक्रम आयोजित हुआ था। उन्होंने दोनों के बीच हुई गुप्त बातचीत पर भी सवाल उठाया।

दिल्ली पुलिस ने क्या किया?
उन्होंने सवाल किया, जमात सदस्यों से सम्पर्क करना एनएसए का काम था या दिल्ली पुलिस आयुक्त का? उन्होंने  केंद्र सरकार पर जमात को धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने का आरोप लगाते हुए सवाल किये और आरोप लगाया कि जमात के साथ सरकार के संबंध हैं।

क्या है निजामुद्दीन मरकज तब्लीगी जमात मामला?
निजामुद्दीन में 1 से 15 मार्च तक तब्लीगी जमात मरकज का जलसा था। यह इस्लामी शिक्षा का दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां हुए जलसे में देश के 11 राज्यों सहित इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से भी लोग आए हुए थे। यहां पर आने वालों की संख्या करीब 5 हजार थी। जलसा खत्म होने के बाद कुछ लोग तो लौट गए, लेकिन लॉकडाउन की वजह से करीब 2 हजार लोग तब्लीगी जमात मरकज में ही फंसे रह गए। लॉकडाउन के बाद यह इकट्ठा एक साथ रह रहे थे। तब्लीगी मरकज का कहना है कि इस दौरान उन्होंने कई बार प्रशासन को बताया कि उनके यहां करीब 2 हजार लोग रुके हुए हैं। कई लोगों को खांसी और जुखाम की भी शिकायत सामने आई। इसी दौरान दिल्ली में एक बुजुर्ज की मौत हो गई। जांच हुई तो पता चला कि वह कोरोना संक्रमित था और वहीं निजामुद्दीन में रह रहा था। तब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।

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