
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 24 जून को जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में 2002 के गुजरात दंगों (Gujarat riots) के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सहित 64 लोगों को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को चुनौती दी गई थी। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने एक एजेंसी से बात की है। उन्होंने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल करने की कोशिश की। उनके एनजीओ की ओर से गुजरात में थानों में आवेदन दिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला देकर सच्चाई सामने ला दी है।
अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पूरे आरोपों को खारिज किया है। आरोपों को क्यों गढ़ा गया, इसके बारे में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि आरोप राजनीति से प्रेरित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि देश के इतने बड़े नेता ने 18-19 साल की लड़ाई एक शब्द बोले बिना लड़ी। उन्होंने सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारा। आज जब सत्य सोने की तरह चमकता हुआ बाहर आया है तो मुझे आनंद हो रहा है। मैंने बहुत नजदीक से मोदी को इस दर्द को झेलते हुए देखा है। सब कुछ सत्य होने के बाद भी न्यायीक प्रक्रिया चालू रहने के चलते उन्होंने कुछ नहीं कहा। ऐसा स्टैंड मन का बहुत मजबूत आदमी ही ले सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने खारिज किए आरोप
अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नरेंद्र मोदी पर लगे सारे गलत आरोपों को खारिज कर दिया गया। इससे भाजपा की सरकार पर जो धब्बा लगा था, वह भी धुला है। मोदी से भी पूछताछ हुई थी। किसी को धरना प्रदर्शन के लिए नहीं कहा गया था। देशभर से कार्यकर्ता आकर मोदी के समर्थन में खड़े नहीं हुए थे। हमने कानून का सहयोग किया था। मुझे गिरफ्तार किया गया। कोई धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ। नरेंद्र मोदी ने एसआईटी के सामने पेश होते समय ड्रामा नहीं किया। उन्होंने नहीं कहा कि मेरे समर्थन में सामने आओ, विधायकों-सांसदों को बुलाओ और धरना दो। अगर एसआईटी सीएम से सवाल करना चाहती है तो सीएम खुद कहते हैं कि मैं सहयोग करने के लिए तैयार हूं।
आरोप लगाने वाले मांगे माफी
जिन लोगों ने भी नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाए थे, अगर उनमें अंतरआत्मा है तो उन्हें नरेंद्र मोदी और भाजपा से क्षमा मांगनी चाहिए। भाजपा की विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ पत्रकार और कुछ एनजीओ ने मिलकर आरोपों को इतना प्रचारित किया और इनका इकोसिस्टम भी इतना मजबूत था कि धीरे-धीरे लोग झूठ को ही सत्य मानने लगे। मैंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जल्दबाजी में पढ़ा है। इसमें स्पष्ट रूप से तीस्ता सीतलवाड़ के नाम का उल्लेख है। उसका एक एनजीओ था, जिसने सभी पुलिस थानों में भाजपा कार्यकर्ताओं से जुड़े ऐसे आवेदन दिए थे। मीडिया का इतना दबाव था कि सभी आवेदनों को सच मान लिया गया।
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60 लोगों को जिंदा जला दिया गया, उसका समाज में आक्रोश था
गृह मंत्री ने कहा कि जिस तरह से 60 लोगों को जिंदा जला दिया था, उसका समाज में आक्रोश था। जब तक दंगे नहीं हुए भाजपा को छोड़कर किसी ने इसकी निंदा तक नहीं की। किसी ने दुख भी व्यक्त नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कह दिया कि जाकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करतीं थी। कई पीड़ित का शपथ पत्र एनजीओ ने साइन कर दिया। पीड़ित को पता भी नहीं चला। सभी जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ यह सब कर रही थी। यूपीए की सरकार ने तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ को खूब मदद की है। केवल और केवल मोदी को टारगेट बनाकर यह सब किया गया। उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए यह सब किया गया।
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