जातीय सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होगा तो...चिराग पासवान ने दिया सनसनीखेज बयान

देश में होने वाली अगली जनगणना में जातीय सर्वे को शामिल किए जाने की मांग पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने अपना पक्ष रखा है। चिराग पासवान ने कांवड़ यात्रा के दौरान नेमप्लेट के आदेश की भी आलोचना की है। 

Dheerendra Gopal | Published : Jul 20, 2024 1:19 PM IST

नई दिल्नी। देश में होने वाली जनगणना में जाति आधारित सर्वे को शामिल किए जाने के विपक्ष की मांग पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने अपनी राय दी है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए क्योंकि यह सरकार को सरकारी स्कीम्स को लागू करने और लाभार्थियों को चिंहित कर मदद करने में लाभदायक होगा लेकिन इसका डेटा सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। पासवान ने कहा कि जातीय जनगणना का डेटा सार्वजनिक होने से देश में विभाजन की राजनीति में वृद्धि होगी।

समाज बंटेगा अगर जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई

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चिराग पासवान ने कहा कि जातीय जनगणना कराया जाना चाहिए लेकिन इसकी रिपोर्ट को पब्लिक डोमेन में नहीं रखा जाना चाहिए। अगर जातीय सर्वे का डेटा सार्वजनिक कर दिया जाएगा तो समाज में बंटवारा हो जाएगा। मैं कभी भी जातीय जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के पक्ष में नहीं हूं। यह केवल समाज को बांटेगा। उन्होंने कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पूर्व सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल के साथ बनाई सरकार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया था। अब बिहार में लोग अपनी जाति के प्रतिशत को लेकर चिपके हुए हैं।

वन नेशन वन पोल या यूनिफार्म सिविल कोड बीजेपी का एजेंडा

लोकजनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने कहा कि एनडीए सरकार में वन नेशन वन इलेक्शन और यूनिफार्म सिविल कोड को लागू करने के लिए कोई चर्चा नहीं हुई है। पासवान ने कहा कि यह भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा है न कि एनडीए का। उन्होंने कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड को भारत जैसे विविधता वाले देश में लागू करना चिंतनीय है। ड्राफ्ट आने के बाद उसको देखा जाएगा।

योगी आदित्यनाथ सरकार के नेमप्लेट वाले फैसला की आलोचना की

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों को अपनी दूकानों पर नेमप्लेट लगाने के फैसले की आलोचना की है। पासवान ने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान नान-वेज पर बैन लगाया जाना चाहिए न कि समाज को बांटने वाला निर्णय लेना चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह गरीबों, दलितों, ओबीसी, अगड़ी जातियां और मुस्लिमों के बीच दूरी कम करे। सरकार और राजनीतिक दलों को दो समुदायों के बीच एकता और सद्भाव बढ़ाने का काम करना चाहिए।

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