Explainer: J&K में आतंकी के पास मिला ऑस्ट्रियन गन Steyr AUG, क्या हैं इसके मायने

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे दो आतंकियों को मार गिराया गया। उनके पास से एक ऑस्ट्रियन गन Steyr AUG मिला है। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान दुनिया भर से आधुनिक हथियार लाकर आतंकियों को दे रहा है।

Vivek Kumar | Published : Jul 20, 2024 12:48 PM IST / Updated: Jul 20 2024, 06:29 PM IST

श्रीनगर। पाकिस्तान भारत के जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आतंक फैलाने के लिए दहशतगर्दों को भेज रहा है। वह आतंकियों को बेहद ताकतवर विदेशी हथियार भी मुहैया करा रहा है। इसके सबूत मिले हैं। पाकिस्तान की कोशिश आतंकियों को ऐसे हथियार देने की है, जिससे वे भारतीय सेना के जवानों का सामना कर सकें।

कश्मीर के इतिहास में पहली बार ऑस्ट्रिया में बना बुलपप असॉल्ट राइफल Steyr AUG आतंकियों के पास से मिला है। यह आधुनिक और घातक हथियार है। 17 जुलाई को कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा पार करने की कोशिश कर रहे दो आतंकवादियों को सैनिकों ने मार गिराया था। उनके पास से एक Steyr AUG, एक AK सीरीज की राइफल, पांच ग्रेनेड और अन्य हथियार व गोला-बारूद का बड़ा जखीरा मिला था।

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जम्मू-कश्मीर में 1988 में आतंकी के पास से मिला था पहला हथियार

जम्मू-कश्मीर में आतंकी के पास से पहला हथियार 12 सितंबर 1988 को बरामद किया गया था। आतंकियों ने उस वक्त के DIG अली मोहम्मद वटाली के घर पर हमला किया था। एजाज डार नाम के एक आतंकी को सुरक्षाकर्मियों ने मार गिराया था। उसके पास से एक असॉल्ट राइफल बरामद की गई थी।

आतंकी के पास से जो राइफल मिला वैसा हथियार उस समय पुलिस के पास नहीं था। सेना को भी यह हथियार नहीं मिला था। विशेषज्ञों ने हथियार की पहचान कलाश्निकोव के रूप में की थी। रूस के मिखाइल कलाश्निकोव ने 1947 में बेहद भरोसेमंद और सक्षम असॉल्ट राइफल बनाया था। इसका नाम AK47 रखा गया। इसके बाद AK47 के आधार पर इस तरह के कई और हथियार विकसित किए गए। पाकिस्तानी सेना ने आतंकियों को इन हथियारों से लैस किया।

1988 के बाद आतंकवादियों ने शुरू किया स्नाइपर राइफलों का इस्तेमाल

1988 के बाद से आतंकवादियों ने लंबी दूरी तक मार करने वाले स्नाइपर राइफलों का इस्तेमाल शुरू कर दिया। इसके साथ ही वे AK सीरीज के दूसरे हथियारों जैसे AK-54 और AK-74 का भी इस्तेमाल कर रहे थे। उस समय तक जम्मू-कश्मीर पुलिस को AK सीरीज के राइफल नहीं मिले थे। इससे आतंकियों को गोलीबारी में बढ़त मिलती थी। इसे खत्म करने के लिए भारत ने जम्मू-कश्मीर में पुलिस, अर्धसैनिक बलों और सेना के जवानों को AK सीरीज के राइफल और भारत में बने इंसास राइफल दिए।

पाकिस्तानी सेना ने दी आतंकियों को राइफल चलाने की ट्रेनिंग

आतंकियों द्वारा AK सीरीज के असॉल्ट राइफल इस्तेमाल किए जाने का सीधा मतलब था कि उन्हें पाकिस्तानी सेना से हथियार और उसे चलाने की ट्रेनिंग मिल रही है। उस समय अफगानिस्तान में रूस की मौजूदगी थी। रूसी सैनिकों से लड़ रहे अफगान लड़ाकों को पाकिस्तान सपोर्ट कर रहा था। इस वजह से पाकिस्तान के पास बड़ी मात्रा में AK सीरीज के हथियार पहुंचे। पाकिस्तान ने ये हथियार आतंकियों को दिए और भारत भेज दिया।

1990 के दशक के मध्य में जम्मू-कश्मीर में विदेशी आतंकियों की घुसपैठ के कारण आतंकवाद बहुत तेज हो गया था। आतंकवादी AK-54, AK-74 और अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर (UBGL) जैसे आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे थे। इनका मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना ने पैरा कमांडो और पहाड़ी इलाके में लड़ाई के लिए ट्रेंड किए गए जवानों को तैनात किया। ये जवान दुनिया के सबसे अच्छे हथियारों से लैस हैं।

2022 में आतंकी के पास से मिला था एम4 कार्बाइन

11 जुलाई 2022 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतीपोरा इलाके में मुठभेड़ में जैश-ए-मुहम्मद का कमांडर कैसर कोका और एक अन्य आतंकी मारा गया। मौके से अमेरिका में बना एक एम4 कार्बाइन बरामद किया गया। इससे सुरक्षा एजेंसियों चौकन्ना हो गईं। पाकिस्तान ने आतंकियों को अमेरिकी हथियार भी मुहैया करना शुरू कर दिया था।

सुरक्षा बलों के लिए यह एक नई चुनौती थी। एम4 कार्बाइन से आधुनिक बॉडी आर्मर भेदने वाली गोली भी फायर की जाती है। इसके चलते बुलेटप्रूफ जैकेट पहने होने के बाद भी जवानों की जान जाने लगी। इंडियन आर्मी ने आतंकियों के खिलाफ अभियान में शामिल जवानों को बेहतर और हल्के बुलेटप्रूफ जैकेट जारी किए। ये कवच-भेदी गोलियों को रोकने के लिए डिजाइन किए गए हैं।

एम4 असॉल्ट राइफल अमेरिकी सैनिक इस्तेमाल करते हैं। अमेरिकी सैनिकों ने जब अफगानिस्तान छोड़ा तो वे अपने पीछे कुछ अत्याधुनिक हथियार छोड़ गए। ये अफगान लड़ाकों के हाथ लगे। इसके बाद ये हथियार पाकिस्तान की मदद से आतंकियों के पास पहुंच गए।

इजरायल के Tavor राइफल जैसा है स्टेयर AUG

17 जुलाई 2024 को केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करते हुए सेना ने दो विदेशी आतंकियों को मार गिराया था। इनके पास से स्टेयर AUG असॉल्ट राइफल बरामद की गई। इस हथियार का इस्तेमाल ऑस्ट्रिया की सेना करती है। इस बुलपप असॉल्ट राइफल की बराबरी इजरायल में बने Tavor असॉल्ट राइफल से की जा सकती है।

यह भी पढ़ें- कौन हैं Para Commandos जो करेंगे आतंकियों का शिकार, इनसे खौफ खाते हैं दुश्मन

Tavor गैस ऑपरेटेड, सेलेक्टिव-फायर बुलपप असॉल्ट राइफल है। इसमें सेमी ऑटोमैटिक, ब्रस्ट मोड और फुल ऑटो मोड हैं। यह 5.56x45 mm की गोलियां फायर करता है। यह अमेरिका के M4 कार्बाइन और ऑस्ट्रिया के स्टेयर से अधिक भरोसेमंद और सटीक माना जाता है। Tavor TAR-21 के मैगजिन में 30 गोलियां लोड होती हैं।

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जिस तरह पाकिस्तान आतंकियों को दुनिया भर के खतरनाक हथियारों से लैस कर रहा है सुरक्षा बलों के सामने चुनौतियां बढ़ रहीं हैं। इसके चलते सुरक्षा बलों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार, बुलेट प्रूफ जैकेट और अन्य उपकरणों की नियमित समीक्षा की जाती है। भारतीय सेना के जवानों के पास बेहद ताकतवर राइफल हैं।

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