कितनी है चंद्रयान-3 की ऑफिशियल लागत...डॉ.जितेंद्र सिंह ने दिया हॉलीवुड का उदाहरण

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि रिसर्च एंड डेवलपमेंट में निजी क्षेत्र को शामिल करने के लिए पीएम मोदी, अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल पेश किया। यह लोकसभा के पिछले सेशन में पास हुआ।

Chandrayaan 3 updates: भारत ने दुनिया में साबित किया है कि कम लागत से बड़ी सफलता कैसे हासिल की जा सकती है। चंद्रयान-3 ने लागत प्रभावी अंतरिक्ष अभियानों के लिए भारत की क्षमता को साबित किया है। केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह दावा करते हुए कहा कि भारतीय वैज्ञानिक अंतरक्षि मिशन के लिए कास्ट-इफेक्टिव डिजाइन्स पर काम करते हैं।

केंद्रीय मंत्री डॉ.सिंह शनिवार को इंदौर में बुद्धिजीवियों, प्रमुख नागरिकों और मीडियाकर्मियों की एक इंटरैक्टिव मीटिंग को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत के अंतरिक्ष मिशन कास्ट-इफेक्टिव होने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। हमने अपने स्किल्स के माध्यम से कास्ट की भरपाई करना सीख लिया है। उन्होंने कहा कि रूसी ने लूना-25 मून मिशन के लिए भेजा लेकिन वह असफल रहा। लूना-25 की लागत 16 हजार करोड़ रुपये थी। जबकि हमारे यहां के चंद्रयान-3 मिशन की लागत 600 करोड़ रुपये थी। जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रमा और अंतरिक्ष मिशन पर आधारित हॉलीवुड फिल्मों की लागत 600 करोड़ रुपये से अधिक है।

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केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कैसे हम इतनी कम लागत में मिशन को सफल कर सके। इसको लेकर सवाल उठेंगे। दरअसल, हमने गुरुत्वाकर्षण बलों का उपयोग किया। अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी की लगभग 20 परिक्रमाएं कीं, प्रत्येक पैराबोला में ऊपर उठा। यह तबतक किया जबतक वह चांद के ग्रैविटेशनल फोर्स को कैच नहीं कर लिया। इसी तरह चंद्रमा की सतह पर उतरने के पहले भी चंद्रयान-3 ने 70 से 80 परिक्रमाएं की। यह तबतक यह किया जबतक उसे निर्धारित स्थान पर सुरक्षित लैंडिंग का यकीन नहीं हुआ।

अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल लेकर पीएम आए

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि रिसर्च एंड डेवलपमेंट में निजी क्षेत्र को शामिल करने के लिए पीएम मोदी, अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल पेश किया। यह लोकसभा के पिछले सेशन में पास हुआ। अनुसंधान के लिए पांच सालों में 50000 करोड़ रुपये कवर किया गया। उन्होंने कहा कि जब इसे पूरी तरह से लागू किया जाएगा, तो यह गेम-चेंजर होगा। हम एक अद्वितीय सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) इकाई की योजना बना रहे हैं जिसके लिए अनुसंधान निधि का ₹36,000 करोड़ निजी क्षेत्र, ज्यादातर उद्योग से आना है जबकि सरकार ₹14,000 करोड़ लगाएगी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने एक अनूठी पहल शुरू की जिससे अमेरिका और अन्य देश भी ईर्ष्या करेंगे। दो साल पहले यह प्रावधान किया गया था कि कंपनियां अपने सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) बजट का 10% आरएंडडी पर लगा सकती हैं, पहले ऐसा नहीं था।

सिंह ने कहा कि हमें अपने मन से यह बात निकालनी होगी कि सरकार ही सब कुछ करेगी और करना भी चाहिए। जो देश विकसित हैं, उन्होंने केवल अपनी सरकार पर निर्भर होकर इसे हासिल नहीं किया है। अगर आज नासा अमेरिका के लिए रॉकेट भेजता है तो ऐसे मिशनों में अधिकतम योगदान निजी एजेंसियों और उद्योग द्वारा किया जाता है।

कोई भी सरकार सबको सरकारी नौकरी नहीं दे सकती

डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोई भी सरकार हर व्यक्ति को सरकारी नौकरी प्रदान नहीं कर सकती। एक जिम्मेदार सरकार नौकरी के अवसर पैदा करती है जैसे पीएम मोदी ने किया है। 350 स्टार्टअप (2014 में) से, अब हमारे पास एक लाख से अधिक स्टार्टअप हैं। गवर्नेंस टेक्नोलॉजी में भी स्टार्टअप उभरे हैं जिसकी पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। मुद्रा योजना के तहत युवाओं को बिना गिरवी रखे 10-20 लाख रुपये का आसान ऋण उपलब्ध कराया जाता है।

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