Innovation: गाय के गोबर के प्रयोग से तैयार हुई एंटी बैक्टीरियल ईको फ्रेंडली खादी, यानी बीमारियों से होगा बचाव

मार्केट में खादी एक ऐसा कपड़ा लॉन्च हो गया है, जो जीवाणुओं से आपको सुरक्षित रखेगा। केंद्रीय MSME मंत्री नारायण राणे(Narayan Rane) ने कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट, जयपुर द्वारा विकसित अनुपम एंटी-बैक्टीरियल कपड़े को लॉन्च किया।

Asianet News Hindi | Published : Nov 27, 2021 9:47 AM IST / Updated: Nov 27 2021, 03:46 PM IST

नई दिल्ली. कपड़े भी बीमारियां लेकर घर तक आते हैं। कभी बार हमारे कपड़ों पर चिपके बैक्टीरिया हमें बीमार कर देते हैं। लेकिन मार्केट में खादी एक ऐसा कपड़ा लॉन्च हो गया है, जो जीवाणुओं से आपको सुरक्षित रखेगा। केंद्रीय MSME(Minister of Micro, Small and Medium Enterprises of India) मंत्री नारायण राणे(Narayan Rane) ने 26 नवंबर को कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट, जयपुर द्वारा विकसित अनुपम एंटी-बैक्टीरियल कपड़े को लॉन्च किया।

गाय के गोबर से निकले एंटी-बैक्टीरियल एजेंट से किया गया ट्रीटमेंट
कपड़े को गाय के गोबर से निकाले गए एंटी-बैक्टीरियल एजेंट से उपचारित किया जाता है, जो कपड़े में बैक्टीरिया के विकास को रोकता है। राणे ने कहा, यह अभिनव कपड़ा अस्पतालों और अन्य चिकित्सा सुविधाओं में बहुत काम आ सकता है। राणे ने गाय के गोबर से बने अभिनव खादी प्रकृति पेंट और संस्थान द्वारा विकसित अनुपम प्लास्टिक-मिश्रित हस्तनिर्मित कागज की भी सराहना की। उन्होंने कहा, इन दोनों उत्पादों में पर्यावरण संरक्षण में योगदान करने के साथ, ग्रामीण रोजगार सृजित करने की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि खादी प्रकृति पेंट को देश के हर गांव तक पहुंचाने और इसे स्थायी रोजगार के मॉडल के रूप में पेश करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।

खादी ने पेश की अनूठी मिसाल
राणे ने कहा, खादी प्रकृति पेंट एक अनूठा उत्पाद है जो रोजगार सृजन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के दोहरे उद्देश्यों की पूर्ति कर सकता है। यह पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी है। उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय का लक्ष्य देश के हर हिस्से में खादी प्रकृति पेंट इकाइयां स्थापित करना है, जो सरकार की ग्रामीण रोजगार पहल को बड़ा बढ़ावा देगी।

मंत्री ने अधिकारियों को स्थानीय रोजगार सृजित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक-मिश्रित हस्तनिर्मित कागज इकाइयों की स्थापना की व्यवहार्यता का पता लगाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा, केवीआईसी द्वारा विकसित यह हस्तनिर्मित कागज इकाई सिंगल यूज प्लास्टिक के खतरे से लड़ने में बड़ी मदद करेगी। इससे एक तरफ प्रकृति से प्लास्टिक का कचरा साफ होगा और दूसरी तरफ हस्तनिर्मित कागज उद्योग में हजारों नए रोजगार सृजित होंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

यह भी पढ़ें
NITI Aayog: Bihar-Jharkhand-Uttar Pradesh में सबसे अधिक गरीबी, Kerala में सबसे कम गरीब लोग, देखें लिस्ट
भारत में 6.2 करोड़ आवारा कुत्ते और 91 लाख बिल्लियां, आवारा पशुओं की आबादी के मामले में चीन के बाद दूसरा नंबर
Andhra Pradesh floods: ये हैं रियल 'खतरों के खिलाड़ी'; बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने लगा दी जान की बाजी

 

Share this article
click me!