जब रामदेव को परेशानी नहीं तो रहमान को क्यों? योग गुरु ने किसे दे डाली नसीहत

कांवड़ यात्रा के पहले योगी आदित्यनाथ सरकार के अधिकारियों का एक आदेश देश की राजनीति को गरमा दिया है। योगी आदित्यनाथ की फायरब्रांड छवि जहां और मुखर होती दिख रही है वहीं सबका साथ-सबका विकास का दावा करने वाली मोदी सरकार के सहयोगी ही इस पर नाराज दिख रहे। 

Dheerendra Gopal | Published : Jul 21, 2024 11:19 AM IST / Updated: Jul 21 2024, 04:50 PM IST

UP Kanwar Yatra route nameplate controversy: यूपी में कांवड़ यात्रा रूट के दूकानदारों को नेमप्लेट लगाने के सरकारी आदेश पर उठे विवाद में योग गुरु स्वामी रामदेव भी कूद पड़े हैं। योगी सरकार का बचाव करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि यदि रामदेव को कोई परेशानी नहीं है तो फिर रहमान को क्या परेशानी है। हर किसी को अपना नाम बताने में गर्व होना चाहिए। दरअसल, यूपी सरकार के इस फरमान पर विपक्षी दलों और नेताओं ने जमकर आलोचना करते हुए तर्क दिया है कि यह निर्देश धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। लेकिन योग गुरु ने पहचान उजागर करने की वकालत करते हुए उसे गर्व से जोड़ा है।

नेमप्लेट विवाद पर अब जानिए रामदेव ने कहा क्या?

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योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि अगर रामदेव को अपनी पहचान उजागर करने में कोई परेशानी नहीं है तो रहमान को अपनी पहचान उजागर करने में परेशानी क्यों होनी चाहिए? हर किसी को अपने नाम पर गर्व होना चाहिए। नाम छिपाने की कोई जरूरत नहीं है, काम में सिर्फ पवित्रता की जरूरत है। अगर हमारा काम पवित्र है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम हिंदू हैं, मुस्लिम हैं या किसी अन्य समुदाय से हैं।

नेमप्लेट विवाद है आखिर क्या?

हर साल सावन महीना में हजारों-लाखों की संख्या में कांवड़िए भगवान शंकर का जलाभिषेक करने के लिए कांवड़ लेकर निकलते हैं। सावन माह में कांवड़ यात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा वाले मार्गों पर खाने-पीने के सामान बेचने वाले दूकानदारों, ठेले-खोमचे वाले, रेस्टोरेंट या होटल-ढाबा चलाने वालों को यह निर्देश दिया है कि वह अपने दूकानों या प्रतिष्ठानों के बोर्ड पर या ठेले पर मालिक का नाम अनिवार्य रूप से लिखे। इससे किसी को भी किसी प्रकार की गलतफहमी या भ्रम न हो। यह सरकारी आदेश सामने आते ही प्रदेश की राजनीति गरमा गई। यूपी ही नहीं पूरे देश के विपक्ष और एनडीए के तमाम सहयोगी दलों ने योगी सरकार के अधिकारियों के इस फैसले की निंदा और आलोचना करनी शुरू कर दी। हालांकि, विवाद के बीच यूपी के अधिकारियों का मानना है कि यह आदेश पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिया गया है। यह मुस्लिम स्वामित्व वाले व्यवसायों की पहचान करने और उन्हें संभावित रूप से लक्षित करने के लिए नहीं किया गया है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि यह राज्य सरकार का मामला है। अगर राज्य सरकार कोई नया नियम लाती है तो सभी को उसका पालन करना होगा।

देश की राजनीति यूपी के नेमप्लेट विवाद पर गरमायी

यूपी में कांवड़ यात्रा वाले रूट के दूकानदारों को नेमप्लेट लगाने के सरकारी फरमान पर विपक्ष सहित एनडीए के कई सहयोगी दल, बीजेपी के साथ खड़े नहीं दिख रहे हैं। बजट सत्र के पहले रविवार को दिल्ली में बुलाई गई सर्वदलीय मीटिंग में भी यह मुद्दा उठा। समाजवादी पार्टी ने यूपी सरकार के इस कदम को धार्मिंक आधार पर बांटने वाला बताया। सपा ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि यह कदम पूरी तरह से गलत है।

ओवैसी बोले-भारतीय मुसलमानों के प्रति घृणा की वास्तविक हकीकत

एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यूपी के कांवड़ मार्गों पर नेमप्लेट लगाने का फरमान, यह भारतीय मुसलमानों के प्रति घृणा की वास्तविकता है। इस गहरी घृणा का श्रेय राजनीतिक दलों, हिंदुत्व के नेताओं और तथाकथित दिखावटी धर्मनिरपेक्ष दलों को जाता है।

सिब्बल पूछे-क्या यह विकसित भारत का मार्ग है?

मोदी सरकार पर तंज कसते हुए राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि कांवड़ यात्रा मार्ग यूपी ने सड़क किनारे ठेले सहित भोजनालयों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है। क्या यह 'विकसित भारत' का मार्ग है? विभाजनकारी एजेंडे केवल देश को विभाजित करेंगे।

यह भी पढ़ें:

बजट सत्र 2024: सत्र शुरू होने के पहले कांवड़ यात्रा बना मुद्दा

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