उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के लोनी में एक फेक वीडियो वायरल करके साम्प्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिशों में शामिल दो कांग्रेस नेताओं सहित 9 लोगों पर FIR दर्ज की है। यह पहली बार हुआ है, जब इस मामले में twitter पर पर केस दर्ज किया गया है।
गाजियाबाद, यूपी. गाजियाबाद जिले के लोनी में एक मुस्लिम बुजुर्ग के साथ हुई मारपीट को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश करने वालों पर योगी सरकार कड़े एक्शन में आई है। गाजियाबाद पुलिस ने दो कांग्रेस नेताओं, पत्रकारों सहित 9 लोगों पर FIR दर्ज की है। इस मामले में twitter को भी आरोपी बनाया गया है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया गया था, जिसमें एक मुस्लिम बुजुर्ग को पीटते दिखाया गया था। उसकी दाढ़ी काट दी गई थी। इसमें मारपीट करने वालों को दूसरे धर्म का बताकर इसे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई थी।
असलियत में यह आपसी रंजिश का मामला था
गाजियाबाद पुलिस ने कहा कि लोनी की घटना का कोई सांप्रदायिक पक्ष नहीं है। यह आपसी झगड़े की वजह है। इस मामले को बिना सोचे-समझे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। इस मामले में twitter सहित द वायर, राणा अय्यूब, मोहम्मद जुबैर, डॉ शमा मोहम्मद, सबा नकवी, मस्कूर उस्मानी, स्लैमन निजामी पर शांति भंग करने के लिए भ्रामक संदेश फैलाना की धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस ने कहा कि ट्विटर ने twitter ने इस फेक वीडियो को वायरल होने से रोकने कोई एक्शन नहीं लिया। बता दें कि राणा अय्यूब और सबा नकवी जर्नलिस्ट हैं। वहीं, जुबैर फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के लेखक हैं। डॉ. शमा मोहम्मद और निजाम कांग्रेस नेता हैं। उस्मानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके हैं। ये पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार थे।
धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश
FIR में लिखा गया है कि इस वीडियो में कुछ शरारती तत्वों द्वारा एक बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल समद सैफी को पीटते हुए जबर्दस्ती दाढ़ी काटते हुए दिखाया गया था। आगे यह भी आरोप है कि पीटने वाले हिंदू समाज से हैं। वे समद से जबरन जयश्रीराम और वंदे मातरम के नारे लगवाना चाहते थे। इस वीडियो को दुर्भावना से twitter पर प्रचारित किया गया।
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