Dakota ने दिखाई भारतीय गौरव की झलक: पाकिस्तान को दिखाया था आसमान, बांग्लादेश को मुक्त कराने मं भी अहम रोल

राष्ट्र के लिए किए गए उत्कृष्ट योगदान की स्मृति में डकोटा को 2011 में स्क्रैप से प्राप्त किया गया था। फिर इसे यूनाइटेड किंगडम में रिफर्निश किया गया था। फिर इसका नाम पौराणिक योद्धा ऋषि 'परशुराम' कर दिया गया था। यह परियोजना देश के इलेक्ट्रॉनिक एवं आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर की भारतीय वायु सेना और उनके पिता सेवानिवृत्त एयर कमोडोर एमके चंद्रशेखर को श्रद्धांजलि थी।

Dheerendra Gopal | Published : Oct 8, 2022 3:25 PM IST / Updated: Oct 08 2022, 08:57 PM IST

90th Indian Air Force Day celebrations: भारतीय वायु सेना दिवस के 90वें समारोह चंडीगढ़ में विंटेज विमान डकोटा के शौर्य का प्रदर्शन लोगों ने देखा। दरअसल, डकोटा सिर्फ एक विमान ही नहीं है बल्कि यह भारत के गौरव व प्रतिरोध का चमकता हुआ प्रतीक है। विंटेज डकोटा DC3 VP905 ने भारत के लिए कई बड़े युद्ध जीते। बड़े-बड़े तूफानों का सामना करते हुए देश की रक्षा में सहायता की है। देश की आने वाली पीढ़ियों के लिए दृढ़ संकल्प का प्रतीक यह विंटेज विमान शनिवार को भारतीय वायु सेना दिवस समारोह के दौरान गरजा। सुखना लेक कॉम्प्लेक्स में परशुराम की शानदार उड़ान सब देखते ही रहे।

Latest Videos

अपने पिता की ओर से केंद्रीय मंत्री ने वायुसेना को दिया गिफ्ट

डकोटा बेड़े के प्रसिद्ध दिग्गज सेवानिवृत्त एयर कोमोडोर एमके चंद्रशेखर की ओर से उनके बेटे देश के इलेक्ट्रॉनिक एवं आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने मई 2018 में बतौर गिफ्ट भारतीय वायुसेना को दिया था। DC3 ने दशकों तक भारतीय गौरव के साथ आकाश को छुआ। राष्ट्र के लिए किए गए उत्कृष्ट योगदान की स्मृति में डकोटा को 2011 में स्क्रैप से प्राप्त किया गया था। फिर इसे यूनाइटेड किंगडम में रिफर्निश किया गया था। फिर इसका नाम पौराणिक योद्धा ऋषि 'परशुराम' कर दिया गया था। यह परियोजना चंद्रशेखर की भारतीय वायु सेना और उनके पिता, सेवानिवृत्त एयर कमोडोर एमके चंद्रशेखर को श्रद्धांजलि थी।

पहला परिवहन विमान रहा है डकोटा

डकोटा, इंडियन एयरफोर्स में शामिल होने वाला पहला प्रमुख ट्रांसपोर्ट विमान था। भारत को स्वतंत्रता मिलने के ठीक बाद 1947-48 के भारत-पाक संघर्ष में डकोटा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब कश्मीर के महाराजा ने 26 अक्टूबर, 1947 को विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, तो शहर और हवाई अड्डे को पाकिस्तान समर्थित कबायली उग्रवादियों के कब्जे से बचाने के लिए श्रीनगर में सशस्त्र बलों को शामिल करने की तत्काल आवश्यकता पैदा हुई। 27 अक्टूबर 1947 को श्रीनगर में तीन डकोटा विमानों से पहली सिख रेजीमेंट के सैनिक पहुंचे थे। इसके बाद एक पूरी पैदल सेना ब्रिगेड को श्रीनगर ले जाया गया। डकोटा ने 1971 के भारत-पाक युद्ध और बांग्लादेश वायु सेना के गठन के दौरान बांग्लादेश की मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन विमानों को युद्ध के दौरान बांग्लादेश के तंगेल में सैनिकों को एयरड्रॉप करने के लिए ट्रांसपोर्टर के रूप में इस्तेमाल किया गया था।

यह भी पढ़ें:

Nobel Prize Winners 2022: दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार पाने वालों की पूरी लिस्ट, प्रोफाइल... 

Medical education in Hindi medium: मध्य प्रदेश में MBBS की पढ़ाई होगी हिंदी में, अमित शाह करेंगे लोकार्पण

विश्वबैंक ने विकास दर 7.5% से घटाकर 6.5% किया लेकिन दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर

Share this article
click me!

Latest Videos

कौन सी चीज को देखते ही PM Modi ने खरीद डाली। PM Vishwakarma
कांग्रेस को गणपति पूजा से भी है नफरत #Shorts
घूंघट में महिला सरपंच ने अंग्रेजी में दिया जोरदार भाषण, IAS Tina Dabi ने बजाई तालियां
कोलकाता केसः डॉक्टरों के आंदोलन पर ये क्या बोल गए ममता बनर्जी के मंत्री
PM Modi LIVE: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में जनसभा को संबोधित किया