तेलंगाना में भारतीय नौसेना का वीएलएफ रडार स्टेशन प्रोजेक्ट का रेडिएशन क्या मनुष्यों और पर्यावरण पर डालेगा प्रतिकूल असर?

दावा किया जा रहा कि विकाराबाद में लगने वाला अत्याधुनिक वेरी लो फ्रीक्वेंसी (वीएलएफ) संचार स्टेशन मनुष्यों या क्षेत्र के वनस्पतियों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।

Dheerendra Gopal | Published : Apr 8, 2024 2:32 PM IST / Updated: Apr 09 2024, 01:56 AM IST

VLF Radar Station Project: इंडियन नेवी द्वारा तेलंगाना के विकाराबाद में वीएलएफ रडार स्टेशन की स्थापना की जा रही है। इस रडार स्टेशन के बारे में तमाम तरह के प्रतिकूल दावे किए जा रहे हैं। दावा किया जा रहा कि विकाराबाद में लगने वाला अत्याधुनिक वेरी लो फ्रीक्वेंसी (वीएलएफ) संचार स्टेशन मनुष्यों या क्षेत्र के वनस्पतियों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। क्षेत्र में प्रोजेक्ट को लेकर यह भ्रम फैला हुआ है कि परियोजना की वजह से रेडिएशन बढ़ेगा और वनस्पतियों, जीव-जंतुओं पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा।

लेकिन नौसेना ने लोगों के भ्रम को लेकर बताई बात

हालांकि, प्रोजेक्ट को लेकर लोगों के भ्रम को दूर करने के लिए भारतीय नौ सेना ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि इसी तरह का रडार स्टेशन तमिलनाडु में पहले से ही संचालित है। स्थानीय आबादी में वहां किसी तरह का दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला है। नेवी ने आश्वस्त किया कि किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं देखा जा रहा है।

पर्यावरणविद् ने जताई चिंता

दामागुडेम वन संरक्षण समिति से जुड़े पर्यावरणविद् प्रोफेसर के.पुरुषोत्तम रेड्डी ने इंडियन नेवी के प्रोजेक्ट के संबंध में समिति के रुख को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि उनकी चिंता प्रोजेक्ट के खिलाफ नहीं है बल्कि पर्यावरण को लेकर है। यहां प्रोजेक्ट वाले क्षेत्र में विभिन्न आकारों के 1.2 मिलियन से अधिक पेड़ों वाला वन क्षेत्र है। रेड्डी ने बताया कि दामागुडेम, अनंतगिरि पहाड़ी श्रृंखला में स्थित है जो कृष्णा नदी की सहायक नदी मुसी का उद्गम स्थल है। उन्होंने मुसी नदी के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया और बताया कि मुसी नदी एक सदी से भी अधिक समय से एक महत्वपूर्ण जल स्रोत के रूप में काम करती है। विशेष रूप से हैदराबाद के बाहरी इलाके में उस्मान सागर जलाशय को पानी की आपूर्ति करती है। रेड्डी ने आशंका जताई कि रडार स्टेशन से उत्सर्जित विकिरण संभावित रूप से नदी के पानी की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। इस प्रोजेक्ट से होने वाले विकिरण की वजह से दीर्घकालिक पर्यावरणीय दुष्प्रभाव हो सकता है।

नौसेना ने क्या दिया जवाब?

नौसेना का कहना है कि दमगुंडम रिजर्व फॉरेस्ट का हिस्सा 2900 एकड़ वन भूमि को वैज्ञानिक सर्वेक्षण के बाद चुना गया है। समय के साथ भारतीय नौसेना एक महत्वपूर्ण वैश्विक नौसैनिक शक्ति के रूप में विकसित हुई है और इसलिए लंबी दूरी की संचार की आवश्यकता अपरिहार्य है। यह परियोजना 10 वर्षों से अधिक के लंबे विचार-विमर्श के बाद फलीभूत हुई है।

नेवी ने बताया कि नौसेना 1990 से तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में एक समान संचार स्टेशन का संचालन कर रही है। पिछले 34 वर्षों से लगभग 1800 लोग अपने स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना इसी तरह के नौसेना स्टेशन में रह रहे हैं। दावा किए गए 12 लाख पेड़ों के मुकाबले, 1000 से भी कम पेड़ों को काटने की योजना है। नेवी ने कहा कि कुल क्षेत्र के 50% से अधिक को जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए वन भूमि के रूप में संरक्षित और बाड़ लगाया जाएगा।

वेरी लो फ़्रीक्वेंसी (वीएलएफ) ट्रांसमीटर 3 से 30 किलोहर्ट्ज़ के रेडियो फ़्रीक्वेंसी बैंड में 10 से 100 किमी की तरंग दैर्ध्य के साथ काम करते हैं। इस प्रकार लंबी दूरी के संचार के लिए उपयोग किए जाते हैं। इन रेडियो सिग्नलों से प्रभावित एक क्षेत्र को एंटीना के आसपास स्पष्ट रूप से नो एंट्री ज़ोन के रूप में सीमांकित किया गया है। नेवी ने कहा कि सीमांकित क्षेत्र के बाहर कोई प्रभाव महसूस नहीं किया जाएगा जहां ये तरंगें मनुष्यों और जीवों के लिए पूरी तरह से हानिरहित हैं, जैसा कि ऐसे सभी ट्रांसमीटरों के मामले में होता है।

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