भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप केंद्र सरकार एक्शन प्लान और इंडिया विजन डाक्यूमेंट@2047 तैयार करने को लेकर चर्चा कर रही है। इसी दिशा में आयोजित जल पर राज्यमंत्रियों के पहले अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन” में पीएम मोदी ने अपनी बात रखी।
नई दिल्ली. भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप केंद्र सरकार एक्शन प्लान और इंडिया विजन डाक्यूमेंट@2047 तैयार करने को लेकर चर्चा कर रही है। भारत@2047 के अंग के रूप में जल सुरक्षा की चुनौतियों के समाधान के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने ‘5पी’ का मंत्र दिया था, जिसमें पॉलिटिकल विल (राजनीतिक इच्छा शक्ति), पब्लिक फाइनेंसिंग (लोक वित्त), पार्टनरशिप (साझेदारी), पब्लिक पार्टीसिपेशन (जन भागीदारी) और परसुयेशन फॉर सस्टेनेबिलिटी (निरंतरता के लिये प्रेरणा) शामिल है। इसी एक्शन प्लान को आगे बढ़ाने के लिये जल शक्ति मंत्रालय ने 5 जनवरी को “जल पर राज्यमंत्रियों के पहले अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन” का आयोजन किया है। इसमें पीएम मोदी ने अपने वीडियो मैसेज के जरिये अपनी बात रखी। पढ़िए पूरी डिटेल्स...
जल संरक्षण से जुड़े अभियानों में हमें जनता जनार्दन को, सामाजिक संगठनों को और सिविल सोसायटी को ज़्यादा से ज़्यादा जोड़ना होग। हमारी संवैधानिक व्यवस्था में पानी का विषय राज्यों के नियंत्रण में आता है। जल संरक्षण में राज्यों के प्रयास देश के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत सहायक होंगे। ऐसे में Water vision 2047 अगले 25 वर्षों के अमृत यात्रा का महत्वपूर्ण आयाम है। जल संरक्षण के लिए जन भागीदारी की सोच को जनता के मन में जगाना है। हम इस दिशा में जितना ज़्यादा प्रयास करेंगे उतना ही अधिक प्रभाव पैदा होगा। भारत ने जल सुरक्षा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 2047 की ओर हमारी जल दृष्टि अमृत काल में बहुत बड़ा योगदान होगा
जियो मैपिंग और जियो सेंसिंग जैसी तकनीक जल संरक्षण के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इस कार्य में विभिन्न स्टार्टअप भी सहयोग कर रहे हैं। जल संरक्षण की दिशा में सिर्फ सरकार के प्रयास ही काफी नहीं हैं। जनभागीदारी (लोगों की भागीदारी) का एक नया अध्याय समाज के सभी वर्गों के कई हितधारकों के साथ शुरू करने की आवश्यकता है। स्वच्छ भारत अभियान' से जब लोग जुड़े तब जनता में भी चेतना और जागरूकता आई। सरकार ने संसाधान जुटाए,वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और शौचालय जैसे अनेक कार्य किए। लेकिन अभियान की सफलता तब सुनिश्चित हुई जब जनता ने सोचा कि गंदगी नहीं फैलानी है। जनता में यही सोच जल संरक्षण के लिए भी जगानी होगी।
इंडस्ट्री और खेती दो ऐसे सेक्टर्स हैं, जिसमें पानी की आवश्यकता अधिक होती है। इन दोनों सेक्टर्स को मिल कर जल संरक्षण अभियान चलाना चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए। हमारे देश में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है और जब शहरीकरण की रफ़्तार ऐसी हो तो हमें पानी के विषय में पूरी गंभीरता से सोचना चाहिए। सरकार ने इस बजट में सर्कुलर इकोनॉमी पर काफी जोर दिया है। जल संरक्षण में परिपत्र अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका है।
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कार्य-योजना को आगे बढ़ाने के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने “जल पर राज्यमंत्रियों के पहले अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन” का आयोजन किया। इसकाविषय “वॉटर विजन@2047” है। यह 5 और 6 जनवरी को मप्र की राजधानी भोपाल में किया जा रहा है।
इस दो दिवसीय सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य है, राज्यों के विभिन्न जल हितधारकों से इंडिया@2047 और 5पी के लिए विचार प्राप्त करना। ऐसा करना इसलिये जरूरी है, क्योंकि जल राज्य का विषय है। इसके साथ ही राज्यों के साथ संलग्नता व साझेदारी में सुधार करना तथा जल शक्ति मंत्रालय की पहलों व योजनाओं को राज्यों के साथ शेयर करना भी कार्यक्रम का लक्ष्य है।
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावट के अलावा जल शक्ति और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल भी अपनी बात रखेंगे।
महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस सम्मेलन के दौरान जल प्रशासन पर एक महत्त्वपूर्ण विषयगत सत्र की अध्यक्षता करेंगे।
सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के जल संसाधन, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) और सिंचाई मंत्रियों को वॉटर विजन@2047 का ब्लू-प्रिंट तथा देश की जल समस्याओं का समाधान करने को रोड-मैप तैयार करने के लिये निमंत्रित किया गया है।
सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के जल संसाधन, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) और सिंचाई विभागों के वरिष्ठ सचिव भी कृषि उत्पादन आयुक्तों के साथ सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
इस अवसर पर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन होगा, जिसमें इनोवेशन से जुड़े युवा इनोवे/स्टार्ट-अप जल सेक्टर में नए इनोवेशन प्रस्तुत करेंगे।
1. जल की कमी, जल की अधिकता और पहाड़ी इलाकों में जल सुरक्षा
2. बेकार चले जाने वाले पानी/गदले पानी को दोबारा इस्तेमाल करने सहित जल उपयोगिता दक्षता
3. जल प्रशासन
4. जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में सक्षम जल सुपरस्ट्रक्चर
5. जल गुणवत्ता
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