बंगाल हिंसा: जब पैरों में गिरकर रो पड़ीं महिलाएं, तो राज्यपाल हुए इमोशनल-'क्या वोट देने की सजा मौत है?'

पश्चिम बंगाल की चुनावी हिंसा के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ के तेवर काफी आक्रामक है। गुरुवार को वे हिंसाग्रस्त इलाकों के दौरे पर थे। शुक्रवार को राज्यपाल असम के रणपगली में बने कैम्प में रह रहे पीड़ितों से मिलने पहुंचे। इस दौरान पीड़ित महिलाओं ने उनके पैर पकड़कर जान की गुहार लगाई। बता दें कि पश्चिम बंगाल में 2 मई को आए विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद बड़े स्तर पर हिंसा हुई थी। इसमें 16 लोगों की मौत हो गई थी। हिंसा प्रभावित सीतलकुची और कूचबिहार से भागकर बड़ी संख्या में लोगों ने असम के रणपगली में बने कैम्प में शरण ली हुई है।

Asianet News Hindi | Published : May 14, 2021 6:10 AM IST / Updated: May 14 2021, 01:29 PM IST

कोलकाता, पश्चिम बंगाल. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच 'चुनावी हिंसा' का मुद्दा बड़े विवाद का रूप लेता जा रहा है। राज्यपाल इस मामले को लेकर ममता बनर्जी से सख्त नाराज हैं। गुरुवार को वे हिंसाग्रस्त इलाकों के दौरे पर थे। शुक्रवार को राज्यपाल असम के रणपगली में बने कैम्प में रह रहे पीड़ितों से मिलने पहुंचे। इस दौरान पीड़ित महिलाओं ने उनके पैर पकड़कर जान की गुहार लगाई। बता दें कि पश्चिम बंगाल में 2 मई को आए विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद बड़े स्तर पर हिंसा हुई थी। इसमें 16 लोगों की मौत हो गई थी। हिंसा प्रभावित सीतलकुची और कूचबिहार से भागकर बड़ी संख्या में लोगों ने असम के रणपगली में बने कैम्प में शरण ली हुई है।

राज्यपाल ने कहा
प्रजातांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात हो रहा है, हम कानून-व्यवस्था से दूर जा रहे हैं। इसकी शुरुआत चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने की, जब उन्होंने पहली बार जनता को चेतावनी दी कि केंद्रीय बल कब तक रहेंगे, उनके जाने के बाद कौन बचाएगा? मुझे उनसे इस प्रकार की उम्मीद नहीं थी। लोगों के घर किस तरह से बर्बाद हुए, व्यापारी संस्थानों का क्या हाल किया गया है। ये सब एक ही कारण से किया गया कि दुनिया के सबसे बड़े प्रजातंत्र में आपने इतनी बड़ी हिमाकत क्यों कर ली कि अपनी मर्जी से वोट दे रहे हो। क्या प्रजातंत्र में वोट देने की सजा मौत है।

राज्यपाल ने ममता बनर्जी की निंदा की
चुनावी हिंसा के बाद से राज्यपाल कई बार ममता को नसीहत दे चुके हैं। राज्यपाल ने 13 मई को हिंसाग्रस्त सीतलकुची और कूचबिहार का दौरा किया था। इसके बाद शुक्रवार को असम के कैम्प में पहुंचे। यहां बंगाल की हिंसा से बचने भागे लोग रह रहे हैं। राज्यपाल के इस दौरे के लिए राज्य सरकार ने कोई मदद नहीं की। उन्हें BSF के हेलिकॉप्टर से हिंसा प्रभावित इलाके का दौरा करना पड़ा। गुरुवार को बंगाल के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों के दौरे पर मीडिया से चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कड़े संकेत दिए थे- चार राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव हुआ। हिंसा केवल बंगाल में ही क्यों हुई? सरकारी तंत्र ने मुझे जानकारी नहीं दी। मैंने निर्णय किया कि मैं हर संभव कदम उठाऊंगा, जिससे लोगों का हौसला बढ़े।

ऐसे बढ़ता गया विवाद...
बता दें कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने हिंसा ग्रस्त दौरे के लिए सरकार से हेलिकॉप्टर की मदद मांगी थी, लेकिन नहीं मिली। इसके बाद राज्यपाल ने कहा-मैं हिंसाग्रस्त इलाकों के दौरे पर जाऊंगा। हमने राज्य सरकार से इसके लिए प्रबंध करने को कहा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इस पर ममता बनर्जी ने पलटवार किया था कि राज्यपाल प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे हैं। वे सरकार को दरकिनार करके सीधे अधिकारियों से बात कर रहे हैं। उनसे रिपोर्ट तलब कर रहे हैं। वे आग्रह करती हैं कि राज्यपाल ऐसा बर्ताव न करें। राज्यपाल के दौरे पर सवाल उठाते हुए ममता बनर्जी ने उन्हें एक खत भी लिखा था। इसमें कहा कि राज्यपाल का किसी भी जिले का दौरा सरकार के आदेश के बाद निश्चित होता है। इसके लिए राज्य सरकार पहले अधिकारियों से चर्चा करती है, लेकिन राज्यपाल प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे हैं। 

पुराना विवाद है दोनों के बीच
जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी के बीच विवाद काफी पुराना है। जब धनखड़ ने राज्यपाल का पद संभाला था, तब से दोनों के बीच विवाद होता रहा है। पिछले दिनों अमित शाह से मुलाकात के दौरान धनखड़ ने कहा था कि बंगाल में अलकायदा पैर पसार रहा है। लोकतंत्र खत्म हो रहा है। इससे पहले बैरकपुर में भाजपा सांसद मनीष शुक्ला के मर्डर मामले में भी राज्यपाल ने ममता बनर्जी को राजभवन बुलाकर नसीहत दी थी। एक अन्य मामले में हावड़ा में भाजपा के प्रदर्शन के दौरान एक सिख की पुलिस द्वारा पिटाई पर भी राज्यपाल नाराज हुए थे। मारपीट में सिख की पगड़ी खुल गई थी। राज्यपाल ने राज्य में 200 से ज्यादा रेप और 600 से अधिक किडनैपिंग का मुद्दा भी उछालकर ममता को घेरा था।

 

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