
Voter List Special Intensive Revision: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगालियों के साथ बीजेपी शासित राज्यों में हो रहे भेदभाव व उत्पीड़न के खिलाफ मार्च निकाला। पदयात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग (Election Commission of India) द्वारा वोटर लिस्ट का 'Special Intensive Revision' शुरू करने की तैयारी को एक साजिश करार दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह कवायद एक 'बैकडोर NRC' की तरह है और चेतावनी दी कि जिन लोगों का नाम सूची में नहीं होगा, उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है।
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कोलकाता में बारिश के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मार्च किया। मार्च निकालते हुए मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील किया कि जब वोटर लिस्ट का संशोधन शुरू हो तो अगर ज़रूरत पड़े तो काम छोड़ दो लेकिन सुनिश्चित करो कि तुम्हारा नाम लिस्ट में हो। नाम नहीं होगा तो जेल भी हो सकती है।
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ममता ने आरोप लगाया कि भाजपा (BJP) बंगाली प्रवासियों को रोहिंग्या कहकर निशाना बना रही है। 22 लाख गरीब प्रवासी श्रमिकों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें डिटेंशन सेंटर में भेजा जा रहा है। क्या बंगाल भारत में नहीं है? अगर सीमा पर घुसपैठ हो रही है तो गृह मंत्रालय क्या कर रहा है?
टीएमसी (TMC) ने भाजपा पर बंगाली भाषियों के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया है। दिल्ली की बेदखली कार्रवाई, असम की ट्रिब्यूनल नोटिस, और ओडिशा में बंगाली मजदूरों की गिरफ्तारी को एक 'पैटर्न' बताते हुए ममता ने कहा कि बंगालियों को 'अवैध प्रवासी' बताने की मुहिम चल रही है।
भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने तीखा जवाब देते हुए कहा: अगर आप बंगाली अस्मिता के लिए इतनी चिंतित हैं तो फिर क्यों हजारों बंगाली युवाओं की नौकरी भ्रष्टाचार की वजह से चली गई और वो सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ममता सरकार बाहरी लोगों को वरीयता देती है जबकि बंगाली अफसरों को नजरअंदाज़ करती है।