India@75: नोटा के विकल्प ने चुनावी प्रक्रिया को बदला, जानें आखिर क्यों पड़ी इसकी जरूरत

नोटा का विकल्प आने से वोट डालने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। नोटा से लोग उम्मीदवारों के प्रति अपना असंतोष प्रकट कर सकते हैं। नोटा का विकल्प 2014 के चुनावों से शुरू हुआ है। 

बिजनेस डेस्क: आजाद भारत में कई बदलाव हुए। इन बदलावों ने भारत की दिशा और दशा दोनों में अपना असर छोड़ा। ऐसा ही एक बदलाव है 'नोटा का विकल्प'। इस विकल्प के आने के बाद लोगों को पूरा हक हुआ कि वे ना चाहें तो किसी भी नेता को वोट ना दें। बल्कि नोटा (NOTA) में वोट डाल दें। लेकिन लोग इसे वोट की बर्बादी कहते हैं, तो कुछ लोग इसके बारे में कहते हैं कि नोटा से यह पता चलता है कि क्षेत्र के किसी भी नेता को कितने लोगों ने पसंद नहीं किया है। तो ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ये नोटा क्या है और इसे देश में कैसे लागू किया गया।

ऊपर लिखे नामों में से कोई नहीं
NOTA का पूरा नाम है None of the above यानी ऊपर लिखे नामों में से कोई नहीं। इस विकल्प का इस्तेमाल वे मतदाता करते हैं, जो किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते हैं। 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश के सभी बैलट पर इसे उपलब्ध कराएं। लेकिन सरकार द्वारा इसका जमकर विरोध किया गया। फिर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि हर मतदाता को 'नोटा' वोट डालने का अधिकार है। तब से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा का विकल्प जोड़ दिया गया है। 2014 के चुनावों से NOTA की शुरुआत कर दी गई।  

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नोटा के वोटों की भी होती है गिनती 
नोटा को बैलट में लाने के बाद चुनाव आयोग ने जानकारी दी थी कि नोटा को भी गिना जाता है। लेकिन नोटा का वोट अवैध हो जाता है। जिस कारण नोटा का चुनाव परिणाम में कोई असर नहीं पड़ता है। तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा था कि अगर 100 में से 99 वोट भी नोटा में चले गए हैं, तो भी 1 वोट से जीत-हार का फैसला हो जाएगा। जिस उम्मीदवार को 1 वोट मिला है, वह जीता हुआ माना जाएगा। अन्य सभी वोट अवैध हो जाएंगे। 

नोटा क्यों लाया गया
नोटा में वोट डालकर उम्मीदवार क्षेत्र से खड़े हुए उम्मीदवार के प्रति असंतोष जाहिर करता है। नोटा होने के बाद लोग वोट देने पहुंचते हैं। अब चाहे कोई किसी उम्मीदवार को पसंद करे या नहीं करे। भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश पी. सदाशिवम के नेतृत्व वाली एक बेंच ने कहा था कि निगेटिव वोटिंग से चुनाव के सिस्टम में बदलाव हो सकता है। नोटा में ज्यादा वोट मिलने से राजनीतिक पार्टियों को सीख मिलेगा। वे अपने साफ छवि वाले उम्मीदवारों को चनाव में खड़ा करेंगे। 

ईवीएम में नोटा का बटन
भारत की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में None Of The Above बटन होता है। यह बटन ईवीएम के सबसे निचले हिस्से में उम्मीदवारों की सूची के नीचे दिया होता है। जानकारी दें कि भारत, ग्रीस, युक्रेन, स्पेन, कोलंबिया और रूस समेत कई देशों में नोटा का विकल्प लागू है। भारत विश्व का 14वां देश बन गया है, जिसने नोटा को चुना है। 

यह भी पढ़ें- India@75: एक फैसले ने मुहब्बत को दी नई राह, LGBTQ को मिली समाज में पहचान

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