
What is Pegasus spyware software: भारत में एक बार फिर पेगासस को लेकर बहस छिड़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस साफ्टवेयर के नेशनल सिक्योरिटी के लिए इस्तेमाल को सही ठहराया है लेकिन सिविल सोसाइटी की निगरानी किए जाने पर चिंता जतायी है। आईए जानते हैं कि पेगासस स्पाईवेयर क्यों जासूसी का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है।
इजरायली साइबर इंटेलिजेंस ने किया है विकसित
पेगासस एक अत्याधुनिक और खतरनाक स्पाईवेयर (Spyware) है जिसे इजरायली साइबर इंटेलिजेंस कंपनी NSO Group ने विकसित किया है। यह सॉफ्टवेयर खास तौर पर मोबाइल फोन को चुपचाप हैक करने के लिए बनाया गया है ताकि यूज़र की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सके। पेगासस से किसी मोबाइल की निगरानी हो रही है यह जानना बहुत ही मुश्किल काम है। इसे किसी मोबाइल में भेजना बेहद आसान है।
कैसे काम करता है पेगासस?
Pegasus स्पाईवेयर एक बार अगर मोबाइल में इंस्टॉल हो जाए, तो यह यूज़र की सभी जानकारियां हैक कर सकता है। यह आपकी हर एक गतिविधि को ट्रैक कर सकता है। आपका रियल टाइम फोटो, बातचीत से लेकर हर एक्टिविटी यह मॉनिटर करता है।
पेगासस क्या करता?
पहले Pegasus को यूज़र द्वारा क्लिक की गई संदिग्ध लिंक के जरिए डिवाइस में डाला जाता था (phishing link)। लेकिन बाद में NSO Group ने Zero-Click Attack टेक्नोलॉजी विकसित कर ली जिसमें यूज़र को कुछ क्लिक करने की भी जरूरत नहीं होती। अब एक मिस्ड WhatsApp कॉल से ही Pegasus इंस्टॉल हो सकता है। या iMessage के जरिए भी iPhone को निशाना बनाया गया।
NSO Group का दावा है कि Pegasus सिर्फ सरकारी एजेंसियों को आतंकवाद और अपराध से लड़ने के लिए बेचा जाता है। लेकिन जांच और मीडिया रिपोर्ट्स (जैसे 2021 का Pegasus Project) में पाया गया कि कई देशों ने इसे पत्रकारों, नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और जजों की जासूसी के लिए इस्तेमाल किया। भारत में भी यह आरोप लगा कि पत्रकारों,विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं के फोन हैक किए गए।
जुलाई 2021 में एक इंटरनेशनल मीडिया इन्वेस्टिगेशन (Pegasus Project) में खुलासा हुआ कि भारत में सैकड़ों मोबाइल नंबर Pegasus निगरानी की लिस्ट में थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपनी निगरानी में एक टेक्निकल कमेटी बनायी। उधर, सरकार ने साफ इनकार किया कि उसने Pegasus खरीदा या इस्तेमाल किया।
यह बिना जानकारी के मोबाइल को पूरी तरह कंट्रोल कर सकता है
किसी भी सुरक्षा उपाय (एंटीवायरस या सिक्योर सिस्टम्स) से बच सकता है
निजता (Privacy) और लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है