कर्नाटक हिजाब विवाद खत्म होने के नाम नहीं ले रहा है। कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। हालांकि, बेंच में शामिल दोनों जजों की राय अलग अलग है। जहां जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब बैन को सही ठहराया है, वहीं जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट का बैन जारी रखने का आदेश रद्द कर दिया।
Hijab Row: कर्नाटक हिजाब विवाद खत्म होने के नाम नहीं ले रहा है। कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। हालांकि, बेंच में शामिल दोनों जजों की राय अलग अलग है। जहां जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब बैन को सही ठहराया है, वहीं जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट का बैन जारी रखने के आदेश को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि हिजाब पहनना पसंद की बात है। ऐसे में अब जजों की एक राय न बनते देख इस मामले को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच में भेजा गया है। आखिर क्या है हिजाब विवाद, कैसे हुई शुरुआत, अब तक क्या-क्या हुआ, आइए जानते हैं।
क्या है हिजाब, कब आया चलन में?
दरअसल, हिजाब स्कॉर्फनुमा चौकोर कपड़ा होता है, जिसे मुस्लिम महिलाएं अपने बालों, सिर और गर्दन को ढंकने के लिए इस्तेमाल करती हैं। जिससे सार्वजनिक जगहों पर ऐसे पुरुषों से दूरी बनाकर रखें, जो संबंध में नहीं हैं। हालांकि, प्राचीन मेसोपोटामिया सभ्यता में विस्तार से बताया गया है कि किन महिलाओं को घूंघट करन चाहिए और किन्हें नहीं। इस्लाम के वजूद में आने से काफी पहले यह प्रभाव में आ गया था। बुर्का अबाया, नकाब आदि शब्द कुरान से अपरिचित और अनजान हैं। कुरान में तो हिजाब शब्द कपड़ों के बराबर भी नहीं हैं।
कई मुस्लिम देशों में हिजाब पर बैन :
ऐसे कई मुस्लिम देश हैं, जहां हिजाब पर प्रतिबंध लगा हुआ है या उसे अनिवार्य नहीं किया गया है। इसमें कोसोवा ने 2009 से, अजरबैजान ने 2010 से, टयूनिशिया ने आंशिक तौर पर 2011 से प्रतिबंधित किया हुआ है। यहां स्कूल-कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में हिजाब पर प्रतिबंध लगा हुआ है। वहीं, सीरिया ने 2010 और मिस्र ने 2015 से स्कूल-कॉलेजों में नकाब तक लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा, इंडोनेशिया, मलेशिया, मोरक्को, ब्रूनी, मालदीव और सोमालिया में भी हिजाब अनिवार्य नहीं है। जबकि ईरान, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया के सिर्फ आचेह शहर में हिजाब या बुर्का अनिवार्य है।
भारत में कैसे शुरू हुआ हिजाब विवाद?
दरअसल, कर्नाटक के कुंदापुर कॉलेज में 28 मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर क्लास अंटेंड करने आईं, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें इस ड्रेस में क्लास अटेंड करने से रोक दिया। इसके बाद छात्राएं जिद पर अड़ गईं कि वो भी बिना हिजाब क्लास अटेंड नहीं करेंगी। बाद में यह जुलाई, 2021 को उडुपी, शिवमोग्गा समेत पूरे कर्नाटक में यह भड़क उठा। शिवमोग्गा के एक स्कूल में हिजाब का समर्थन करने वाले 58 स्टूडेंट को सस्पेंड कर दिया गया।
हिजाब विवाद में अब तक क्या-क्या हुआ?
- 28 दिसंबर को PU कॉलेज उडुपी की छात्राओं ने आरोप लगाया कि उन्हें हिजाब पहन क्लास में नहीं बैठने दिया जा रहा।
- 4 जनवरी, 2022 को चिकमंगलूर के स्टूडेंट्स ने भगवा शॉल पहनकर कॉलेज आने की अनुमति मांगी और ये सिलसिला बढ़ने लगा।
- 13 जनवरी, 2022 को उडुपी के पीयू कॉलेज के सामने मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनकर एंट्री के लिए प्रदर्शन शुरू कर दिया।
- 31 जनवरी को उडुपी के पीयू कॉलेज के फैसले के खिलाफ लड़कियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
- 5 फरवरी को कर्नाटक सरकार ने एक ऑर्डर जारी कर कहा कि सिर्फ तय यूनिफॉर्म में ही स्कूल-कॉलेजों में प्रवेश दिया जाएगा।
- कर्नाटक हाईकोर्ट ने 11 दिन तक चली सुनवाई के बाद हिजाब के समर्थन वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट ने कहा कि हिजाब इस्लाम की जरूरी धार्मिक प्रथाओं का हिस्सा नहीं है।
- 28 मार्च को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। धीरे-धीरे सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर 23 याचिकाएं दायर की गईं।
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