150वीं जयंती: महात्मा गांधी की हत्या करना चाहता था हिटलर, लेकिन बापू ने पत्र लिख कर उसे कहा था मित्र

 महात्मा गांधी और एडोल्फ हिटलर 20वीं शताब्दी की 2 प्रमुख हस्तियां थीं। हालांकि, दोनों की सोच और विचारधारा और कार्य करने का तरीका एकदम उलट था। वे दोनों कभी मिले नहीं। बावजूद इसके महात्मा गांधी ने हिटलर को दो बार पत्र लिखा। 
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 2, 2019 3:29 AM IST / Updated: Oct 02 2019, 09:01 AM IST

नई दिल्ली. महात्मा गांधी और एडोल्फ हिटलर 20वीं शताब्दी की 2 प्रमुख हस्तियां थीं। हालांकि, दोनों की सोच और विचारधारा और कार्य करने का तरीका एकदम उलट था। वे दोनों कभी मिले नहीं। बावजूद इसके महात्मा गांधी ने हिटलर को दो बार पत्र लिखा। 

दरअसल, जहां एक ओर महात्मा गांधी ने हिटलर को इस पत्र में मित्र कहकर संबोधित किया। वहीं, हिटलर की मंशा गांधीजी को खत्म करने की थी। इसका जिक्र कई किताबों और लेखों में भी मिलता है।

शांति की अपील के लिए लिखा था पत्र
दरअसल, महात्मा गांधी ने द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले और उसके दौरान एडोल्फ हिटलर समेत कई वैश्विक नेताओं को कई पत्र भेजकर शांति की जोरदार अपील की थी। एक पत्र तो उन्होंने जर्मनी द्वारा पोलैंड पर एक सितंबर, 1939 को आक्रमण करने से आठ दिन पहले हिटलर को लिखा था।  महात्मा गांधी ने 23 अगस्त, 1939 को लिखे पत्र में हिटलर को मित्र से संबोधित किया था।

गांधीजी ने पहले पत्र में लिखा...

प्रिय मित्र, लोग चाहते हैं कि मानवता की खातिर मैं आपको लिखूं। लेकिन मैंने इस अनुरोध का विरोध किया। क्यों कि मुझे लगता है कि यह गुस्ताखी होगी। लेकिन यह साफ है आप दुनिया के उन लोगों में से हैं जो युद्ध रोक सकता है। क्यों कि युद्ध इंसान को हैवान बना सकती है। आपको कोई भी वस्तु कितनी भी बहुमूल्य लगे, लेकिन एक दिन आपको इसकी कीमत चुकानी ही पड़ती है। क्या आप एक ऐसे व्यक्ति की अपील सुनेंगे जिसने बिना किसी उल्लेखनीय सफलता के युद्ध के तरीके का परित्याग कर दिया है? यदि मैंने आपको लिखकर कोई ढिठाई की है तो मैं उम्मीद करता हूं कि आप माफ कर देंगे।...मैं मोहनदास करमचंद गांधी आपका सच्चा मित्र बना रहूंगा।
 
दूसरे पत्र में भी की शांति की अपील
इसके बाद  24 दिसंबर 1940 को भी गांधीजी ने एक पत्र हिटलर के नाम लिखा था। इसमें भी उन्होंने युद्ध रोकने, अहिंसा, शांति और सत्याग्रह जैसी बातों का जिक्र था। लेकिन रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि दोनों ही पत्र हिटलर को नहीं मिले थे। ये ब्रिटिश सरकार द्वारा आगे नहीं भेजे गए। इन चिट्ठियों का भी जवाब गांधीजी तक नहीं पहुंचा।

गांधी की हत्या करना चाहता था हिटलर
कोएन्राड अल्स्ट के लेख के मुताबिक,  हिटलर गांधी की हत्या करना चाहता था। उसने तत्कालीन वायसराय इरविन के साथ बैठक में वादा किया था कि वह ब्रिटेन की मदद भारत को अधीन रखने में करेगा। हिटलर ब्रिटिश सरकार की हुकूमत बनाए रखने के लिए गांधीजी की हत्या का फॉर्मूला अपनाना चाहता था। 
 

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