कौन हैं खुर्रम परवेज, जिन्हें TIME मैगजीन ने 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में दी जगह

टाइम मैगजीन ने कश्मीरी ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट खुर्रम परवेज (Khurram Parvez) को 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया है। इस लिस्ट में उनके अलावा बिजनेसमैन गौतम अडाणी और सुप्रीम कोर्ट की वकील करुणा नंदी भी शामिल हैं। 

Asianet News Hindi | Published : May 24, 2022 7:20 AM IST

TIME 2022 Most influential People: अमेरिका की प्रतिष्ठित मैगजीन टाइम (TIME) ने 2022 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट जारी की है। इसमें कश्मीरी ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट खुर्रम परवेज (Khurram Parvez) को भी शामिल किया गया है। खुर्रम परवेज के अलावा इस लिस्ट में बिजनेसमैन गौतम अडाणी (Gautam Adani) और सुप्रीम कोर्ट की वकील करूणा नंदी (Karuna Nundy) को भी जगह मिली है।  

कौन हैं खुर्रम परवेज : 
23 नवंबर, 2021 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 43 साल के परवेज को श्रीनगर में उनके घर से गिरफ्तार किया था। परवेज खुर्रम पर (यूएपीए) की धाराओं के तहत आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंड जुटाने, साजिश रचने, किसी आतंकी संगठन का मेंबर होने के आरोप लगे हैं। इसके अलावा उन पर आईपीसी की धारा 120B (आपराधिक साजिश में शामिल होना) और धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) लगाई गई थीं। पत्रकार राणा अय्यूब ने परवेज को लेकर लिखा है कि कश्मीर क्षेत्र में होने वाले मानवाधिकारों के उल्लंघनों के खिलाफ उनकी आवाज पूरी दुनिया में गूंज रही है। 

2016 में भी गिरफ्तार हो चुके परवेज : 
इससे पहले परवेज खुर्रम को साल 2016 में भी गिरफ्तार किया जा चुका है। ये गिरफ्तारी तब हुई थी, जब कश्मीरी आतंकी बुरहान वानी की सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में मौत के बाद कश्मीर में कई दिनों तक हिंसा जारी रही थी। उस वक्त जम्मू-कश्मीर की सीएम मेहबूबा मुफ्ती थीं और परवेज पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया था। तब खुर्रम दो महीने तक जेल में रहे थे। 

कई अहम पदों पर काबिज हैं खुर्रम परवेज :  
परवेज खुर्रम जम्मू-कश्मीर कोलिशन ऑफ सिविल सोसाइटी (जेकेसीसीएस) नाम के एक एनजीओ के प्रोग्राम को-आर्डिनेटर हैं। इस एनजीओ द्वारा कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं पर बेस्ड कई रिपोर्ट जारी की गई हैं। खुर्रम परवेज फिलीपींस स्थित एशियन फेडरेशन अगेंस्ट इनवालंटरी डिसएपियरेंस के चेयरमैन भी हैं। 2006 में परवेज खुर्रम को रीबॉक ह्यूमन राइट्स अवार्ड मिल चुका है। ये अवॉर्ड 30 साल से कम उम्र के उस शख्स को दिया जाता है, जिसने नॉन वायलेंस के जरिए मानव अधिकारों की लड़ाई लड़ी हो। 

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