
Who is Rajagopalan Vasudevan: प्लास्टिक के कचरे का सही इस्तेमाल कर उससे सड़क बनाने वाले राजगोपालन वासुदेवन एक भारतीय वैज्ञानिक हैं। उन्हें खासतौर पर वेस्ट मैनेजमेंट में काम करने के लिए जाना जाता है। में काम किया है। मदुरई के त्यागराज कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में केमेस्ट्री के प्रोफेसर रह चुके वासुदेवन को प्लास्टिक कचरे के निपटान का एक इनोवेटिव तरीका खोजने के लिए "भारत के प्लास्टिक मैन" के रूप में जाना जाता है।
राजगोपालन वासुदेवन को आज से 23 साल पहले यानी 2002 में प्लास्टिक कचरे से सड़क बनाने का आइडिया तब आया, जब उन्होंने सूखे और क्रश किए हुए प्लास्टिक कचरे को 170 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किए गए बिटुमन पर छिड़का। इससे प्लास्टिक तो पिघल गया, लेकिन पत्थरों पर एक पतली लेयर जम गई। इसके बाद प्लास्टिक में लपेटे हुए पत्थरों को कोलतार में मिलाया गया। इस तरह वासुदेवन ने सबसे पहले अपने कॉलेज परिसर की सड़क में ही प्लास्टिक कचरे से रोड बनाने की टेक्नीक का इस्तेमाल किया।
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वासुदेवन की इस तकनीक से दो फायदे हुए। पहला प्लास्टिक वेस्ट का सही इस्तेमाल हुआ। वहीं दूसरा, टिकाऊ और मजबूत सड़के बनाने में मदद मिली। उनके इस इनोवेटिव आइडिया ने भारत में सड़क निर्माण को एक नया आयाम दिया।
राजगोपालन वासुदेवन के इस आइडिया की वजह से फिलहाल भारत में कम से कम 11 राज्यों में 1,00,000 किलोमीटर से ज़्यादा सड़कें बन चुकी हैं। ये सड़कें न केवल भारी बारिश को बेहतर ढंग से झेलती हैं, बल्कि इनके रखरखाव के लिए भी बहुत ज्यादा खर्च या मेहनत नहीं करनी पड़ती।
प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट में उनके अग्रणी योगदान के लिए डॉ. वासुदेवन को 2018 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका योगदान बताता है कि विज्ञान का इस्तेमाल जब दूरदर्शिता और खास उद्देश्य के साथ किया जाता है, तो ऐसे समाधान दे सकता है, जो समाज और पर्यावरण दोनों के लिए ही समान रूप से फायदेमंद हों। बता दें कि डॉ. वासुदेवन ने केवल सड़कें ही नहीं बनाईं, उन्होंने एक स्वच्छ, हरित और ज्यादा टिकाऊ भारत के लिए एक नई दिशा दी है।
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