कौन थे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, जिन्होंने महज 9 साल की उम्र में त्याग दिया था घर

द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार 11 सितंबर को निधन हो गया। वे 99 साल के थे। उन्होंने मध्य प्रदेश में नरसिंहपुर जिले के  झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में दोपहर साढ़े 3 बजे अंतिम सांस ली। स्वामी शंकराचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

Asianet News Hindi | Published : Sep 11, 2022 12:13 PM IST / Updated: Sep 11 2022, 05:48 PM IST

Who is Shankaracharya Swami Swaroopanand saraswati: द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार 11 सितंबर को निधन हो गया। वे 99 साल के थे। उन्होंने मध्य प्रदेश में नरसिंहपुर जिले के  झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में दोपहर साढ़े 3 बजे अंतिम सांस ली। स्वामी शंकराचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। स्वामी शंकराचार्य ने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी।

नहीं रहे हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरू: 
स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था। कुछ दिन पहली ही स्वरूपानंद सरस्वती ने हरियाली तीज के दिन अपना 99वां जन्मदिन मनाया था, जिसमें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई बड़े नेता पहुंचे थे। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य ब्रह्म विद्यानंद के मुताबिक, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार शाम 5 बजे परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी।

Latest Videos

कौन हैं शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती?
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम पोथीराम उपाध्याय था। 9 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। इस दौरान वो उत्तर प्रदेश के काशी पहुंचे और ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज से शास्त्रों की शिक्षा ली। 

72 साल पहले ली थी दंड दीक्षा
स्वामी स्वरूपानंद आज से 72 साल पहले यानी 1950 में दंडी संन्यासी बनाए गए थे। ज्योर्तिमठ पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे। उन्हें 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली।

आजाद की लड़ाई में रहा योगदान : 
1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में स्वामी स्वरूपानंद भी शामिल थे। सिर्फ 19 साल की उम्र में वो क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए। वो 15 महने तक वाराणसी और मध्यप्रदेश की जेलों में रहे। 

बीजेपी-विहिप को फटकारा था : 
शंकराचार्य स्वामी स्परूपानंद सरस्वती ने राम जन्मभूमि न्यास के नाम पर विहिप और भाजपा को घेरा था। उनका कहना था कि अयोध्या में मंदिर के नाम पर भाजपा-विहिप अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं, जबकि मंदिर का एक धार्मिक रूप होना चाहिए, लेकिन ये लोग इसे राजनीतिक रूप देना चाहते हैं और ये हमें मंजूर नहीं है। 

ये भी देखें : 

बड़ी खबर: शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का निधन, 99 साल की उम्र में अपने आश्रम में ली आखिरी सांस

Share this article
click me!

Latest Videos

Akhilesh Yadav LIVE: माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रेस वार्ता
दिल्ली सरकार की नई कैबिनेट: कौन हैं वो 5 मंत्री जो आतिशी के साथ लेंगे शपथ
हरियाणा BJP संकल्प पत्र की 20 बड़ी बातें: अग्निवीर को पर्मानेंट जॉब-महिलाओं को 2100 रु.
तिरुपति लड्डू का भगवान वेंकटेश से कनेक्शन, क्यों 300 साल पुरानी परंपरा पर उठ रहे सवाल?
कार से हो सकता हैं कैंसर! 99% गाड़ियों में है खतरा