एशिया को भारत से क्यों चाहिए BrahMos मिसाइल, जानें चीन का रोल

Published : Dec 25, 2024, 12:15 PM ISTUpdated : Dec 25, 2024, 12:22 PM IST
BrahMos missile

सार

वियतनाम भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की तैयारी में है। यह सौदा लगभग 6000 करोड़ रुपये का हो सकता है। चीन की बढ़ती धमकी के बीच दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में ब्रह्मोस की मांग बढ़ रही है।

नई दिल्ली। एशिया के देशों से भारत के सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के लिए खूब डिमांड आ रही है। वियतनाम भारत के साथ ब्रह्मोस खरीदने के लिए बात कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार 700 मिलियन डॉलर (5963 करोड़ रुपए) के सौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह भारत से हथियारों के निर्यात में बेहद अहम होगा। इससे पहले फिलीपींस ने ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए 375 मिलियन डॉलर (3194 करोड़ रुपए) का सौदा किया था। इससे पता चलता है कि दक्षिण पूर्व एशिया में इस अत्याधुनिक हथियार की कितनी अधिक मांग है।

भारत और रूस ने मिलकर तैयार किया है ब्रह्मोस मिसाइल

ब्रह्मोस मिसाइल को भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया ने मिलकर तैयार किया है। यह दुनिया के सबसे तेज रफ्तार क्रूज मिसाइलों में से एक है। इसकी रफ्तार 2.5 मैक (3087 किलोमीटर प्रति घंटा) से 3.5 मैक (4321 किलोमीटर प्रति घंटा) तक पहुंच जाती है। शुरुआती ब्रह्मोस का रेंज 290 किलोमीटर था। इसे बढ़ाकर 500 किलोमीटर किया गया है। इसके कई वर्जन हैं, जिनका इस्तेमाल जमीन से समुद्र, समुद्र से जमीन और हवा से जमीन पर मार करने के लिए किया जा सकता है। यह बेहद सटीक मिसाइल है। कम ऊंचाई पर क्रूज करने के चलते इसे रडार से देख पाना और इससे बचना बेहद मुश्किल है।

चीन की धमकी से परेशान देश भारत से खरीद रहे ब्रह्मोस मिसाइल

दक्षिण चीन सागर में तनाव बढ़ा हुआ है। चीन दूसरे देशों के क्षेत्र पर अपना दावा कर रहा है। वियतनाम, फिलीपींस, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देश चीन के आक्रामक क्षेत्रीय दावों के खिलाफ अपनी सुरक्षा मजबूत कर रहे हैं। इसके लिए वे ब्रह्मोस मिसाइल की ओर देख रहे हैं।

दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ भारत ने किया है रक्षा संबंध मजबूत

भारत ने संयुक्त अभ्यास, बातचीत और हथियारों की बिक्री के माध्यम से दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत किया है। वियतनाम के साथ ब्रह्मोस सौदा तय होने वाला है। इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे देशों के साथ भी ब्रह्मोस के लिए बातचीत हो रही है। ब्रह्मोस से दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों की आत्मरक्षा की ताकत बढ़ेगी। इसके साथ ही भारत की कोशिश चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की भी है।

बढ़ रहा भारत का रक्षा निर्यात

भारत का रक्षा निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। 2014 में यह 4,312 करोड़ रुपए था। यह 2023 में बढ़कर 88,319 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक रक्षा निर्यात को 5 बिलियन डॉलर (42,602 करोड़ रुपए) करने का लक्ष्य रखा है। ब्रह्मोस मिसाइल की सफलता इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण है। यह रक्षा निर्यातक के रूप में भारत की विश्वसनीयता को मजबूत करती है।

यह भी पढ़ें- पाकिस्तान को मिलेंगे 5वीं पीढ़ी के खतरनाक 40 स्टील्थ फाइटर जेट, जानें भारत कहां

PREV

Recommended Stories

Indigo Crisis: चार दिन की अफरा-तफरी के बाद कब नॉर्मल होगा इंडिगो? आ गई बड़ी अपडेट
Indigo Flight Cancellation: एयरपोर्ट पर यात्री ने बयां किया दर्द, रोती नजर आई लड़की, वायरल हुई Video