स्वदेशी इंटरनेट मीडिया साइट ‘कू’ को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 27 फरवरी 2021 को ज्वाइन किया था। कू पर भी सीएम की लोकप्रियता काफी अधिक है। उनके अकाउंट शुरू करते ही हजारों की संख्या में फाॅलोअर्स उनसे जुड़ गए थे।
लखनऊ। ट्वीटर के खिलाफ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराजगी साफ जाहिर होती दिख रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कू (Koo) पर मैसेज लिखने की शुरूआत कर दिए हैं। बुधवार को उन्होंने इस भारतीय एप पर अपना पहला संदेश लिखा।
कू पर लिखा पहला संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कू एप पर लिखा-
‘गाजीपुर में मां गंगा की लहरों पर तैरते संदूक में रखी नवजात बालिका ‘ंगंगा’ की जीवन रक्षा करने वाले नाविक ने मानवता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। नाविक को आभार स्वरूप् सभी पात्र सरकारी योजनाओं से लाभान्वित किया जाएगा। प्रदेश सरकार नवजात बच्ची के लालन-पालन का संपूर्ण प्रबंध करेगी।’
फरवरी में सीएम योगी ने ज्वाइन किया था देसी एप कू
स्वदेशी इंटरनेट मीडिया साइट ‘कू’ को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 27 फरवरी 2021 को ज्वाइन किया था। कू पर भी सीएम की लोकप्रियता काफी अधिक है। उनके अकाउंट शुरू करते ही हजारों की संख्या में फाॅलोअर्स उनसे जुड़ गए थे।
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ट्वीटर पर यूपी में हुआ एफआईआर
गाजियाबाद के लोनी बाॅडर इलाके में एक बुजुर्ग के साथ मारपीट और अभद्रता का वीडियो वायरल हुआ था। यह वीडियो धार्मिक भावनाओें को भड़काने के लिए कुछ शरारती युवकों ने पोस्ट किया था। वीडियो में एक मुस्लिम बुजुर्ग के साथ मारपीट और नारे लगवाते कुछ युवक दिख रहे हैं जो दूसरे धर्म के बताए गए। हालांकि, पुलिस की छानबीन में यह साफ हो गया कि युवक भी मुस्लिम ही थे। पुलिस की छानबीन में सच सामने आने के पहले यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस वीडियो वाली खबर को ट्वीट कर बयान दे चुके थे। अब पुलिस ने धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश के आरोप में ट्वीटर कम्यूनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जुबेर अहमद, डाॅ.समा मोहम्मद, सबा नकवी के ट्वीटर आईएनसी, राना अयूब, सलमान निजामी, मसकूर उस्मानी और द वायर के खिलाफ केस दर्ज किया है।
क्यों ट्वीटर पर हुई कानूनी कार्रवाई
दरअसल, भारत में नए आईटी कानून प्रभावी हो चुके हैं। ट्वीटर ने नए कानून का पालन नहीं किया है। नए रूल्स का पालन नहीं करने की वजह से ट्वीटर को कानूनी संरक्षण खत्म हो चुका है। लीगल प्रोटेक्शन खत्म होने के बाद अब किसी भी आपत्तिजनक कंटेट के लिए ट्वीटर को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
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