Exclusive: देवेंद्र झाझड़िया ने तोड़ा विश्व रिकॉर्ड, टोक्यो में देश के लिए लगाना चाहता हैं गोल्ड की हैट्रिक

एशियानेट से बात करते हुए उन्होंने कहा- मैं पिछले दो वर्षों में पूरी तरह से अपने प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। वास्तव में, लॉकडाउन के दौरान मैंने जो कुछ किया है वह SAI की गांधीनगर सुविधा में है।

चूरू. राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित एवं एथेंस और रियो पैरा-ओलंपिक खेलों में देश के लिए दो गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी देवेंद्र झाझड़िया ने टोक्यो में अगले महीने हो रहे पैरा ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया। झाझड़िया ने नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में अपने ही रिकॉर्ड 63.97 मीटर को तोड़कर 65.71 मीटर भाला फेंकते हुए ओलंपिक का टिकट हासिल किया।

दोनों गोल्ड थे विश्व रिकॉर्ड
उनके पिछले दोनों स्वर्ण पदक विश्व रिकॉर्ड थे। देवेंद्र का पिछला विश्व रिकॉर्ड 63.97 मीटर और 62.15 मीटर था। अब उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा है।   

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अगले माह शुरू होगा टोक्यो पैरालंपिक 2021
जापान की राजधानी टोक्यो में जुलाई 2021 में शुरू हो रहे पैरा ओलम्पिक के लिए देवेंद्र झाझड़िया ने नई दिल्ली के नेहरू स्टेडियम में आयोजित प्रतियोगिता में विश्व रिकॉर्ड के साथ क्वालिफाई किया है। देवेंद्र झाझड़िया राजस्थान के चूरू जिले के सादुलपुर उपखंड के रहने वाले हैं।

एशियानेट से की बात
एशियानेट से बात करते हुए उन्होंने कहा- मैं पिछले दो वर्षों में पूरी तरह से अपने प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। वास्तव में, लॉकडाउन के दौरान मैंने जो कुछ किया है वह SAI की गांधीनगर सुविधा में है। मुझे अपने परिवार को महीनों तक देखने को नहीं मिलता है, लेकिन यही वह बलिदान है जो मैं अपने देश के लिए तीसरा गोल्ड मेडल पाने के लिए करने को तैयार हूं।

आत्मविश्वास मजबूत होगा
इस प्रदर्शन के बाद झाझड़िया ने कहा कि वे बहुत खुश हैं तथा इससे उनका आत्मविश्वास और मजबूत होगा। उनकी कोशिश है कि इससे भी बेहतर प्रदर्शन कर भारत को तीसरा गोल्ड मेडल दिला पाएं। देवेंद्र ने बताया, दो साल से कोविड से संघर्ष सबकी तरह उनके लिए भी एक चुनौती था।  इसके बीच ट्रेनिंग भी एक चैलेंज रहा। यहां तक कि लॉकडाउन में एक कमरे में ट्रेनिंग करनी पड़ी। इस ट्रायल से पहले काफी चैलेंज आए।

पिता का देहांत, मां ने दी प्रेरणा 
उन्होंने बताया कि 23 अक्टूबर को मेरे पिताजी का देहांत मेरे लिए बहुत बड़ा झटका था। हिंदू रीति रिवाज से से 12 दिन पूरे करते ही मां ने कहा, तेरा काम देश के लिए खेलना है तुम ट्रेनिंग पर जाओ। ऐसे हालात में मां को छोड़ना मेरे लिए मुश्किल था, लेकिन देश को प्राथमिकता दी। उसके बाद सात महीने हो गए, किसी से नहीं मिला। लगातार गांधी नगर ट्रेनिंग कैंपस में रहा। रात को नौ बजे बस एक बार परिवार से बात होती है। छह साल का बेटा यह सब नहीं समझता, वह रोज कहता है कि आप कल ही आ जाओ। बेटी समझदार है, वह जिद नहीं करती। इन सब के बीच आज जो प्रदर्शन किया है, उससे बहुत खुश हूं।

रिकॉर्ड तोड़ने से खुशी
40 साल की उम्र में विश्व रिकॉर्ड तोड़ना मेरे लिए भी बहुत खुशी का विषय है। इस प्रदर्शन से मेरे कोच सुनील तंवर और फिटनेस ट्रेनर लक्ष्य बत्रा का बड़ा योगदान है। मेरे परिवार का, मेरी मां का बड़ा योगदान है। इस खुशी के अवसर पर अपने पिता को याद करता हूं, जिन्हें मुझे अंगुली पकड़कर चलना सिखाया, खेलने का हौसला दिया।  आज वे मेरे पास नहीं लेकिन सोचता हूं कि वे जहां भी हैं, देख रहे होंगे कि मैं तीसरे गोल्ड का उनका सपना पूरा करने जा रहा हूं। अपने अंतिम समय में वे कैंसर से पीड़ित थे, तब भी कहते थे कि जाओ, तैयारी करो। मैं ऐसे बीमारी के समय भी उनको अधिक समय नहीं दे पाया।

कौन हैं देवेद्र झाझड़िया
चूरू जिले के गांव झाझड़ियों की ढाणी में 1981 में जन्मे देवेंद्र झाझड़िया का हाथ आठ साल की उम्र में पेड़ पर चढ़ते समय करंट लगने के हादसे के बाद काटना पड़ा था। उन्होंने खेलना शुरू किया और 2002 में कोरिया में हुए खेलों में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद उन्होंने 2004 में एथेंस पैराओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया और वहां भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए न केवल स्वर्ण पदक जीता बल्कि 62.15 मीटर जेवलिन फेंककर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। 2004 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया। बाद में मार्च 2012 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा भारत के प्रतिष्ठित पद्मश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। यह सम्मान प्राप्त करने वाले वह पहले पैराओलिंपियन हैं। इसके बाद उन्होंने 2016 में रियो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता।

VIDEO: देखें कैसे  Devendra Jhajharia ने खुद का ही विश्व रिकॉर्ड तोड़ा

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