गंभीर बीमारी से जूझ रहे पूर्व ओलंपियन लिंबा राम, पूर्व खिलाड़ियों ने कहा, 'हर संभव मदद करे सरकार'

अपने जमाने के मशहूर तीरंदाज लिंबा राम गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं और अभी उनका इलाज चल रहा है। उनकी स्थिति को लेकर श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज और दिल्ली खेल पत्रकार संघ (डीएसजेए) की संयुक्त मेजबानी में मंगलवार को सेमिनार “फॉरगोटन हीरोज” का आयोजन किया गया।

Asianet News Hindi | Published : Mar 3, 2020 3:56 PM IST

नई दिल्ली. गंभीर बीमारी से जूझ रहे पूर्व ओलंपियन लिंबा राम की हर संभव मदद करने की अपील करते हुए पूर्व खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों ने मंगलवार को यहां कहा कि सरकार और खेल मंत्रालय को बीते जमाने के खिलाड़ियों के लिये ठोस नीति बनानी चाहिए।

तीरंदाज लिंबा राम मानसिक बीमारी से ग्रस्त

अपने जमाने के मशहूर तीरंदाज लिंबा राम गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं और अभी उनका इलाज चल रहा है। उनकी स्थिति को लेकर श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज और दिल्ली खेल पत्रकार संघ (डीएसजेए) की संयुक्त मेजबानी में मंगलवार को सेमिनार “फॉरगोटन हीरोज” का आयोजन किया गया। इस अवसर पर एशियाई खेलों के पूर्व स्वर्ण पदक विजेता पहलवान और कोच महाबली सतपाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने वाले और अर्जुन पुरस्कार विजेता खिलाड़ी की दयनीय स्थिति सोचनीय विषय है।

लिमा राम ने भारत के तरफ से तीन ओलम्पिक खेला है

सतपाल ने कहा, ‘‘लिम्बा राम की बदहाली के बारे में जानकर मुझे गहरा आघात पहुंचा है। सरकार, खेल मंत्रालय, भारतीय तीरंदाजी संघ और भारतीय ओलम्पिक संघ को लिम्बा व उसके जैसे अन्य चैंपियन खिलाड़ियों के बारे में गंभीरता से सोचने और समुचित प्रयास करने की जरूरत है। ’’द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच महासिंह राव ने सरकार और समाज से लिंबा राम की हर संभव मदद करने की अपील की।

उन्होंने कहा, ‘‘लिम्बा राजस्थान और देश के महान खिलाड़ी रहे हैं। भले ही उन्होंने ओलम्पिक पदक नहीं जीता लेकिन तीन ओलम्पिक खेलना, एशियाई चैम्पियनशिप में पदक जीतना और विश्व रिकॉर्ड बनाना उनकी बड़ी उपलब्धियां रही हैं। ऐसे में वह बड़े सम्मान और चैम्पियन की तरह आत्म-सम्मान के हकदार बनते हैं। सरकार और समाज को उनकी हरसंभव मदद करनी चाहिए।’’

फुटबाल दिल्ली के अध्यक्ष ने शाजी प्रभाकरण ने कहा कि वह इस पूर्व तीरंदाज की हरसंभव मदद करने के लिये तैयार हैं।

(ये खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई/भाषा की है। एशियानेट हिन्दी न्यूज ने सिर्फ हेडिंग में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)

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