भारतीय मुक्केबाज मंजू रानी को महिला विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में मिली हार के बाद रजत पदक से संतोष करना पड़ा। हरियाणा की इस मुक्केबाज को लाइट फ्लायवेट (48 किलो) वर्ग के फाइनल में रूस की एकातेरिना पाल्सेवा ने 4 .1 से हराया ।
उलान उदे. भारतीय मुक्केबाज मंजू रानी को महिला विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में मिली हार के बाद रजत पदक से संतोष करना पड़ा। हरियाणा की इस मुक्केबाज को लाइट फ्लायवेट (48 किलो) वर्ग के फाइनल में रूस की एकातेरिना पाल्सेवा ने 4 .1 से हराया ।
फाइनल में एकमात्र भारतीय थी रानी
रानी फाइनल में एकमात्र भारतीय बॉक्सर थी । इससे पहले छह बार की चैम्पियन एम सी मेरीकोम (51 किलो), जमुना बोरो (54 किलो) और लवलीना बोरगोहेन (69 किलो) को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा । बोरगोहेन का यह लगातार दूसरा कांस्य पदक था ।
शुरू से ही दिखाया आक्रामक खेल
रानी और उनकी प्रतिद्वंद्वी ने पहले दौर से ही आक्रामक खेल दिखाया । पहले तीन मिनट में रूसी मुक्केबाज ने दमदार मुक्के लगाये। दूसरे दौर में रानी ने अच्छे जवाबी हमले किये और स्थानीय मुक्केबाज पर भारी पड़ी । आखिरी तीन मिनट में दोनों ने संभलकर खेला । रूसी मुक्केबाज को बेहतर रिफ्लैक्सेस के कारण विजेता घोषित किया गया ।
रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर की बेटी हैं रानी
रानी ने इस साल पंजाब के लिये राष्ट्रीय खिताब जीतकर राष्ट्रीय शिविर में जगह बनाई थी । उसने इस साल पहली बार स्ट्रांजा मेमोरियल टूर्नामेंट खेलते हुए रजत पदक जीता । रोहतक के रिठाल फोगाट गांव की रहने वाली रानी के पिता सीमा सुरक्षा बल में अधिकारी थे जिनका कैंसर के कारण 2010 में निधन हो गया था ।
शनिवार को 20 साल की होंगी रानी
रानी शनिवार को 20 साल की होने जा रही हैं। इतनी कम उम्र में देश के लिए पदक लाने वाली रानी से देश को काफी उम्मीदें हैं। रानी की तुलना में दूसरी भारतीय मुक्केबाज काफी उम्रदराज हैं और रानी देश के भविष्य के तौर पर देखा जा रहा है। जो आगे चलकर लंबे समय तक मैरीकॉम की तरह देश को पदक दिलाती रहेंगी।
(यह खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा की है। एशियानेट हिंदी की टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)